राजीव पांडेय, रांची. झारखंड के टीबी मरीजों में तेजी से डायबिटीज के लक्षण मिल रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े की मानें, तो इस साल (जनवरी से अप्रैल तक) 1,139 टीबी मरीजों में डायबिटीज की पुष्टि हुई है. इसमें पूर्वी सिंहभूम में सबसे ज्यादा 187 टीबी मरीजों में डायबिटीज के लक्षण पाये गये हैं. इसके बाद रांची में 120 और धनबाद में 104 टीबी मरीजों की स्क्रीनिंग करने पर, उनमें डायबिटीज का पता चला है. विशेषज्ञों ने बताया कि अधिकांश टीबी के मरीजों को पहले से डायबिटीज की बीमारी रहती है, लेकिन वह जांच नहीं कराते हैं. ऐसे में डायबिटीज के कारण भी टीबी हो जाती है.
डायबिटीज रोग प्रतिरोधक क्षमता को करता है कम
डायबिटीज के मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है. इससे टीबी की संभावना अधिक जाती है. ऐसे में 30 साल के बाद वाले मरीजों को डायबिटीज की जांच अवश्य करानी चाहिए. डायबिटीज के साथ-साथ अगर व्यक्ति को टीबी हो जाती है, तो बीमारी ठीक होने में समय लगता है. दर्जनों टीबी के मरीजों ने डायबिटीज की जांच कभी नहीं करायी होती है. ऐसे में बुखार और लंबी खांसी होने पर टीबी के साथ-साथ डायबिटीज की जांच अवश्य करानी चाहिए.
राज्य में टीबी मरीजों में डायबिटीज की स्थिति
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बोकारो – 62
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चतरा -15
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देवघर -33
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धनबाद -104
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दुमका – 39
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गढ़वा -12
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गिरिडीह -30
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गोड्डा -57
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गुमला -31
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हजारीबाग -83
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जामताड़ा -15
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खूंटी -09
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कोडरमा -30
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लातेहार -24
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लोहरदगा -04
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पाकुड़ -29
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पलामू -38
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पश्चिमी सिंहभूम -44
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पूर्वी सिंहभूम -187
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रामगढ़ -24
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रांची -120
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साहिबगंज -56
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सरायकेला-खरसांवा -79
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सिमडेगा -14
‘स्क्रीनिंग की जा रही है, इसलिए मिल रहे मरीज’
वहीं स्टेट टीबी ऑफिसर डॉ रंजीत प्रसाद ने कहा कि टीबी मरीजों में डायबिटीज के लक्षण मिल रहे हैं, क्योंकि उनकी स्क्रीनिंग की जा रही है. इस साल के चार महीने में 1,139 टीबी मरीजों में डायबिटीज पाया गया है. डायबिटीज के कारण टीबी होने की संभावना ज्यादा होती है, क्योंकि शुगर वाले मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है.