मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के बीच शांति बहाली को लेकर कड़े प्रयास किये जा रहे हैं, मई की शुरुआत में मणिपुर राज्य में जातीय हिंसा भड़कने पर पुलिस थानों से बड़ी संख्या में हथियार लूट लिए गए थे. इसके बाद मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, दोनों ने ही लोगों से हथियार सौंपने की अपील की थी. इधर एल सुसिंद्रो मेइती नामक एक पूर्व विधायक ने भी अपने क्षेत्र में शांति बहाली को प्रयासरत हैं. इसी क्रम में उन्होंने अपने आवास के बाहर ‘ड्रॉपबॉक्स’ बनाया और उपद्रवियों से हथियार जमा करने की अपील की.
इम्फाल पूर्व से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक विधायक एल सुसिंद्रो मेइती के आवास पर स्थापित एक ‘ड्रॉपबॉक्स’ ने लोगों को आकर्षित किया है और इसमें अत्याधुनिक स्वचालित राइफल समेत 130 हथियार जमा किये गये हैं. इस ‘ड्रॉपबॉक्स’ में हथियार जमा कराने वाले लोगों की पहचान उजागर न हो यह सुनिश्चित किया गया है. सुसिंद्रो के घर के बाहर एक बड़ा पोस्टर लगा है जिसमें अंग्रेजी और मेइती भाषा में लिखा है, ‘‘कृपया छीने गये हथियारों को यहां रखें. ’’इस विज्ञापन के नीचे लिखा है-ऐसा करने में खुद को स्वतंत्र महसूस कीजिए, यह एक संकेत है कि उनसे सवाल नहीं पूछे जाएंगे कि हथियार उन्हें कैसे मिले
‘पीटीआई-भाषा’ का संवाददाता जब सुबह वहां पहुंचा तो वास्तव में ड्रॉपबॉक्स में कुछ स्वचालित राइफल और गोला-बारूद समेत कुछ अन्य हथियार मौजूद थे. सुसिंद्रो अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा कर युवा ग्रामीणों को हथियार जमा कराकर शांति प्रक्रिया में शामिल होने के लिए राजी कर रहे हैं. उन्होंने बाद में फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उन्होंने इस ‘ड्रॉपबॉक्स’ की स्थापना की है. उन्होंने कहा, ‘‘कई बार जो लोग हथियार जमा कराने आते हैं तो वे पुलिस के डर से झिझकते हैं … इसलिए इस ‘ड्रॉपबॉक्स’ की स्थापना की गई है.’’ उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले इसकी स्थापना के बाद से अब तक लगभग 130 हथियार प्राप्त हो चुके हैं. उन्होंने कहा,‘बॉक्स की चाबी पुलिस के पास रहती है और वे हथियार लेने के लिए कभी भी आ सकते हैं.’
इधर असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शनिवार को मणिपुर के अपने समकक्ष एन बीरेन सिंह से मणिपुर की मौजूदा स्थिति पर चर्चा करने के लिए मुलाकात की. शर्मा इस बैठक के लिए शनिवार सुबह गुवाहाटी से रवाना हुए. सूत्रों ने बताया कि असम के मुख्यमंत्री दिल्ली से एक संदेश लेकर पहुंचे हैं, क्योंकि सभी पक्ष राज्य में जातीय हिंसा का समाधान तलाशने के लिए काम कर रहे हैं. बैठक के बारे में कोई बयान जारी नहीं किया गया.
मणिपुर में एक महीने पहले भड़की जातीय हिंसा में कम से कम 100 लोगों की जान चली गई थी और 310 अन्य घायल हो गए थे. फिलहाल कुल 37,450 लोग 272 राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं. अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘जनजातीय एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद पहली बार तीन मई को हिंसक झड़पें हुईं थीं.