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Jagannath Temple: जगन्नाथ मंदिर की ध्वजा हवा के विपरीत दिशा में क्यों लहराती है, हनुमान जी से जुड़ा है रहस्य

Jagannath Temple: भगवान जगन्नाथ के मंदिर में ऐसे चमत्कार हैं जिनका जवाब विज्ञान के पास भी नहीं है. हवा के विपरीत दिशा में मंदिर की ध्वजा का लहराना भी इन्हीं चमत्कारों में से एक है. इसके पीछे एक पौराणिक मान्यता है. इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि आखिर कैसे और क्या है इससे जुड़ा रहस्य?

Jagannath Temple: भगवान जगन्नाथ के मंदिर में ऐसे चमत्कार हैं जिनका जवाब विज्ञान के पास भी नहीं है. हवा के विपरीत दिशा में मंदिर की ध्वजा का लहराना भी इन्हीं चमत्कारों में से एक है. इसके पीछे एक पौराणिक मान्यता है. इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि आखिर कैसे और क्या है इससे जुड़ा रहस्य?

क्या है पौराणिक मान्यता?

हवा के विरुद्ध ध्वजा लहराने का संबंध हनुमान जी से है. पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र की आवाज के कारण भगवान विष्णु को विश्राम करने में कठिनाई होती थी. जब यह बात हनुमान जी को पता चली तो उन्होंने समुद्र से कहा कि तुम अपनी वाणी रोक लो क्योंकि तुम्हारे शोर से मेरे स्वामी को चैन नहीं आ रहा है. तब समुद्र ने कहा कि यह मेरे वश में नहीं है. यह ध्वनि उतनी ही दूर तक जाएगी जितनी हवा की गति जाएगी. इसके लिए आपको अपने पिता पवन देव से निवेदन करना चाहिए. तब हनुमान जी ने अपने पिता पवन देव का आह्वान किया और उन्हें मंदिर की दिशा में न बहने के लिए कहा. पवनदेव ने कहा कि यह संभव नहीं है. इसके लिए उन्होंने हनुमान जी को एक उपाय बताया.

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हनुमान जी ने क्या उपाय किया था?

अपने पिता के बताए उपाय के अनुसार हनुमान जी ने अपनी शक्ति से स्वयं को दो भागों में बांट लिया और फिर वे हवा से भी तेज गति से मंदिर की परिक्रमा करने लगे. इससे हवा का ऐसा चक्र बना कि समुद्र की आवाज मंदिर के अंदर न जाकर मंदिर के चारों ओर घूमती रहती है और श्री जगन्नाथ जी मंदिर में आराम से सो जाते हैं. इसी वजह से मंदिर की ध्वजा भी हवा के विपरीत दिशा में लहराती है.

हैरान करने वाली और भी बातें हैं

मंदिर के शिखर पर फहराया जाने वाला यह ध्वज प्रतिदिन बदला जाता है. जगन्नाथ मंदिर की ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन के लिए भी झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 साल के लिए बंद हो जाएगा. इस मंदिर का प्रसाद भी बड़े ही रोचक तरीके से तैयार किया जाता है. प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं, जिसे लकड़ी के चूल्हे पर पकाया जाता है, लेकिन इस प्रक्रिया में सबसे ऊपर के बर्तन में रखी सामग्री पहले पकती है और फिर धीरे-धीरे नीचे के बर्तन में रखी सामग्री पकती है.

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