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झारखंड के चंद्रपुरा में 800 मेगावाट का लगेगा सुपर क्रिटिकल पावर प्लांट, बोले डीवीसी के चेयरमैन राम नरेश सिंह

बोकारो के चंद्रपुरा में 800 मेगावाट का सुपर क्रिटिकल पावर प्लांट लगाने की योजना है. सुपर क्रिटिकल पावर प्लांट नहीं लग पाया तो ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट लगेगा. डीवीसी के चेयरमैन राम नरेश सिंह ने खास बातचीत में ये बातें कहीं.

बेरमो, राकेश वर्मा. डीवीसी के चेयरमैन राम नरेश सिंह ने चंद्रपुरा स्थित निदेशक भवन में प्रभात खबर से विशेष बातचीत में कहा कि चंद्रपुरा थर्मल की पुरानी यूनिटों का डिस्मैंटलिंग किया जा रहा है. चंद्रपुरा में एक नया सुपर क्रिटिकल पावर प्लांट लगाने की योजना है. इसके लिए सर्वे चल रहा है. अगर जमीन की उपलब्धता तथा एश डाइक के लिए जगह मिल गयी तो यह लगेगा. इसमें अभी समय लगेगा. डीवीसी और विद्युत मंत्रालय इसको लेकर गंभीर है. डीवीसी में सोलर के अलावा बैटरी स्टोरेज तथा ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट भी आ रहा है. ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट पर भी काम चल रहा है. अगर चंद्रपुरा में किसी कारणवश सुपर क्रिटिकल पावर प्लांट नहीं लग पाया तो ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट लगाने की योजना है. इसके लिए यहां पर्याप्त पानी उपलब्ध है. मार्केट भी है. बगल में स्टील प्लांट भी है. इसलिए ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट लगाने के लिए यह स्थान उपयुक्त साबित हो सकता है.

डीवीसी के चेयरमैन राम नरेश सिंह ने कहा कि डीवीसी के बोकारो थर्मल में भी पुरानी यूनिट का डिस्मैंटलिंग जल्द शुरू होगा. सर्वे में यहां सुपर क्रिटिकल पावर प्लांट लगाने के लिए पर्याप्त जमीन नहीं मिल रही है. वर्ल्ड बैंक के सहयोग से रि-परपसिंग ऑफ ओल्ड यूनिट्स के बदले सोलर, रिन्युअल, बैटरी स्टोरेज या ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट लगाने की दिशा में काम चल रहा है. इसके लिए सर्वे का काम चल रहा है. हाल में ही वर्ल्ड बैंक की टीम ने यहां का दौरा भी किया है. इसकी डीपीआर बन गयी है और विद्युत मंत्रालय ने इस पर सहमति दे दी है. अब मामला वित्त मंत्रालय जायेगा. यहां से सहमति मिलने के बाद कैबिनेट कमेटी में जायेगा. यहां से एप्रुवल मिलने के बाद बोकारो थर्मल में नया पावर प्लांट लगाने की दिशा में काम शुरू होगा. डीवीसी बेरमो माइंस की प्रक्रिया साल के अंत तक होगी पूरी डीवीसी चेयरमैन ने कहा कि डीवीसी बेरमो माइंस का हैंड ओवर-टेक ओवर की प्रक्रिया काफी दिनों से चल रही है. हमलोगों ने इसे काफी गति दी है. नीचे लेबल में मीटिंग होने के बाद पूरे इंफ्रास्ट्रक्चर का हैंड ओवर होगा. आंकलन किया जा रहा है कि कितना पैसा हमलोगों को इसके एवज में सीसीएल से लेना है. सीसीएल भी अपने स्तर से आंकलन करा रही है. सीसीएल सालाना डीवीसी को 2.5 मीलिटन मीट्रिक टन का लिंकेज देगा. इसको लेकर करीब-करीब सहमति हो गयी है और इसको एमओयू हो गया है. पिछले महीने ऊर्जा सचिव व कोयला सचिव स्तर पर बैठक भी हो चुकी है तथा इस पर सहमति बन गयी है. इस साल के अंत तक हैंड ओवर-टेक ओवर की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी. वर्ष 2030 तक डीवीसी की उत्पादन क्षमता हो जायेगी दोगुनी एक सवाल के जवाब में चेयरमैन ने कहा कि डीवीसी की विद्युत उत्पादन क्षमता सात हजार मेगावाट है. थर्मल पावर प्लांटों से उत्पादन क्षमता 6540 मेगावाट है. फिलहाल डीवीसी के डैम से पानी सूख जाने के कारण हाइडल जेनरेशन में थोड़ी कमी आयी है, लेकिन बरसात में पूर्व की भांति विद्युत जेनरेशन शुरू हो जायेगा. फिलहाल डीवीसी के 250 मेगावाट तथा 210 मेगावट के दो थर्मल पावर प्लांट तकनीकी कारणों के कारण अंडर मेंटेनेंस हैं. नौ जून को डीवीसी ने पीक जेनरेशन कुल 5600 मेगावाट किया. यह डीवीसी के तमाम कर्मी, कामगार व अधिकारियों के अलावा पूरी टीम की मेहनत का परिणाम है. डीवीसी की तस्वीर व तकदीर बदल गयी है. डीवीसी के प्लांट आज प्लांट लोड फैक्टर में हिंदुस्तान में किसी पावर प्लांट से कम नहीं हैं. कभी इस मामले में एनटीपीसी सिरमौर हुआ करता था. आज डीवीसी भी उसके समकक्ष है. कहा कि वर्ष 2030 में डीवीसी की विद्युत उत्पादन क्षमता 14-15 हजार मेगावाट हो जायेगी. इसमें थर्मल, सोलर व ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट एवं बैटरी स्टोरेज प्लांट शामिल हैं. आने वाले समय में कोई ग्रीन फिल्ड पावर प्लांट नहीं आयेगा, बल्कि जहां डीवीसी के पुराने पावर प्लांट हैं, वहां नयी यूनिट आयेगी. रघुनाथपुर में 660 गुणा दो यानी 1320 मेगावाट क्षमता का प्लांट आयेगा. अप्रैल में इसकी निविदा निकाली जा चुकी है. कोडरमा फेस दो में दो गुणा 800 यानी 1600 मेगावाट क्षमता का सुपर क्रिटिकल प्लांट आयेगा. 30 मई को इसकी निविदा निकाली गयी है. दुर्गापुर ओल्ड प्लांट की जगह 800 मेगावाट क्षमता का नया पावर प्लांट आयेगा. यहां के पुराने प्लांट का ऑक्शन प्रोसेस में है. यानि आने वाले सात साल में 3720 मेगावाट क्षमता के नया पावर प्लांट आयेंगे. करीब दो हजार क्षमता का सोलर प्लांट आयेगा.

डीवीसी के कुल चार डैम हैं, जिससे फ्लोटिंग क्षमता 18-19 सौ मेगावाट जेनरेशन की है. हमारे कई पावर प्लांट के अंदर वाटर रिजरवॉयर भी है. आने वाले समय में कोडरमा में 10 मेगावाट, चार पावर प्लांट के वाटर रिजरवॉयर से 30 मेगावाट, तिलैया व पंचेत डैम से 310 मेगावाट के अलावा एक अन्य आठ मेगावाट क्षमता का सोलर प्लांट लगेगा. इसके अलावा पंप स्टोरेज का भी बड़ा प्रोजेक्ट आने जा रहा है. मैथन में एक हजार तथा ललपनिया में 15 सौ मेगावाट क्षमता का पंप स्टोरेज प्लांट आयेगा. लुगू पहाड़ में पंप स्टोरेज प्लांट की डीपीआर मई 2024 तक बनेगी चेयरमैन ने कहा कि ललपनिया के लुगू पहाड़ में 15 सौ मेगावाट क्षमता का पंप स्टोरेज प्लांट प्रस्तावित है. शुरु में कुछ ग्रामीण यहां प्लांट लगाने का विरोध कर रहे थे. लेकिन अब ग्रामीणों का सकारात्मक सहयोग मिल रहा है. हमलोगों ने ग्रामीणों को प्लांट लगने से होने वाले फायदे के बारे में समझाया है. साथ ही पुरुलिया ले जाकर वहां लगाये गये पंप स्टोरेज प्लांट को दिखाया. फिलहाल काफी तेज गति से सर्वे का काम चल रहा है. मई 2024 तक इसकी डीपीआर बन जायेगी. इसके बाद यह टेंडर होगा. प्लांटों में पर्याप्त कोल स्टॉक कहा कि बरसात को देखते हुए डीवीसी के सभी पावर प्लांटों में पर्याप्त कोल स्टॉक है. सिर्फ मेजिया में थोड़ा कम है, जिसे दुरुस्त किया जा रहा है. चंद्रपुरा थर्मल पावर स्टेशन में 28 दिनों का कोल स्टॉक है. फिलहाल डीवीसी रेल, रोड, आरसीआर मोड से कोयला मंगा रहा है. इसके अलावा कुछ कोयला आयात भी कर रहे है. इस साल पांच लाख टन कोयला आयात किया जायेगा, ताकि बरसात में पावर प्लाटों में कोयला की कमी नहीं हो.

डीवीसी चेयरमैन ने कहा कि झारखंड सरकार के साथ डीवीसी का संबंध ठीक-ठाक चल रहा है. सरकार का काफी सहयोग भी मिल रहा है. डीवीसी के इतिहास में सबसे बड़ी उपलब्धि है कि पुराना बकाया रेगुलर मिल रहा है. लेट पेमेंट सरचार्ज विद्युत मंत्री का एक क्रांतिकारी कदम था, उस कदम के कारण हर माह अब किस्त के रूप में झारखंड सरकार भुगतान भी कर रही है तथा हर माह बिजली बिल का भी भुगतान हो रहा है. जरूरत के अनुसार डीवीसी से बिजली दी जा रही है और समय पर पैसा भी मिल रहा है. राज्य सरकार से तुबैद माइंस खोलने में काफी सहयोग मिला. अगर राज्य सरकार का सहयोग नहीं मिलता को इस माइंस को नहीं खोल पाते. रिकाॅर्ड समय में इस माइंस को चालू किया गया. हर प्लांट के रेडियस में एक गांव को आदर्श बनाया जायेगा. चेयरमैन ने कहा कि डीवीसी अपने यहां कार्यरत ठेका, सप्लाई व कैजुअल मजदूरों के वेलफेयर को लेकर भी गंभीर है. मजदूरों के स्वास्थ्य पर खासा ध्यान दिया जा रहा है. हेल्थ चेकअप स्कीम चलायी जा रही है. प्रधानमंत्री बीमा योजना का लाभ दिया जा रहा है. इसके प्रीमियम का भुगतान कंपनी कर रही है. सीएसआर के तहत डीवीसी अपने हर पावर प्लांट के रेडियस में आने वाले एक गांव को आदर्श गांव बनाने का काम करेगा. खासकर ऐसा गांव जहां आदिवासी, एससी व गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वालों की संख्या ज्यादा हो.

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