पटना. भीषण गर्मी, उमस व बिजली कटौती लोगों की सेहत पर भारी पड़ रही है. बच्चे व बड़े शरीर में पानी की कमी, पेट में बहदजमी, सिर में दर्द, तनाव-चिंता, चिड़चिड़ापन की समस्या से परेशान हैं. शहर के पीएमसीएच व आइजीआइएमएस सहित दूसरे सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों की मेडिसिन व मानिसक रोग विभाग की ओपीडी में ऐसे करीब 30 प्रतिशत मरीज बढ़ गये हैं. इसके अलावा राजधानी के दूसरे पीएचसी व अनुमंडलीय अस्पतालों में भी इस तरह के मरीज पहुंच रहे हैं.
आइजीआइएमएस न्यूरो विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अशोक कुमार बताते हैं कि तेज धूप से सिर गर्म हो जा रहा है. इससे लोगों में सिर दर्द की समस्या बढ़ गयी है. वहीं जो पुराने माइग्रेन के मरीज हैं, उनको इस गर्मी में और परेशानी हो रही है. उनको विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है. साथ ही पुराने मानसिक रोगियों का संतुलन गड़बड़ा गया है. बिजली की आवाजाही से रात में नींद पूरी नहीं हो पा रही है. तनाव-चिंता, चिड़चिड़ापन बढ़ने की वजह यह भी है.
पीएमसीएच इमरजेंसी विभाग के हेड डॉ इकबाल अहमद ने कहते हैं कि गर्मी की वजह से कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनको इमरजेंसी हालत में अस्पताल लाना पड़ रहा है. हालांकि इनमें अधिकांश ऐसे मरीज हैं जिनको पहले से पुरानी बीमारी है. एक दो दिन इलाज के बाद वे ठीक हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि मेडिसिन विभाग की ओपीडी व इमरजेंसी में करीब 30 प्रतिशत मरीजों के शरीर में पानी की कमी, बदहजमी, डायरिया के आ रहे हैं. रोजाना डेढ़ दर्जन लोग इमरजेंसी में भर्ती किये जा रहे हैं.
गार्डिनर रोड अस्पताल के अधीक्षक डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने बताया कि गर्मी में पानी भी प्रदूषित हो जाता है. खाना भी जल्दी खराब हो जाता है. इस स्थिति में हमारे शरीर में जब बैक्टीरिया प्रवेश करता है तो पहले उल्टी होती है, इसके बाद पेट दर्द और फिर पतले दस्त होने लगते हैं. कच्चा खाना हमारे लिए हानिकारक है. लोग सोचते हैं कि जूस गर्मी में काफी लाभदायक होता है, लेकिन जूस कच्चा होता है इसलिए वह नुकसानदायक होता है. घबराने की बात नहीं है. बच्चा सुस्त हो रहा है और छह घंटे से पेशाब नहीं हुआ तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं. बचाव के लिए ओआरएम का घोल देते रहें.
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गर्मी से बचाव के लिए लोगों ने ग्लूकोज और ओआरएस का उपयोग शुरू कर दिया है. ग्लूकोज और ओआरएस सहित सभी एनर्जी ड्रिंक की खपत तीन गुना बढ़ गयी है. बिहार ड्रगिस्ट एवं केमिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ पीके सिंह कहते हैं कि गोविंद मित्रा दवा मंडी में सामान्य दिनों में रोज 200 से 250 डिब्बे अलग-अलग ब्रांड के ग्लूकोज और ओआरएस बिकते थे लेकिन अब 500 से 650 डिब्बे रोज बिक रहे हैं.