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हजारीबाग में टपक सिंचाई योजना में भारी गड़बड़ी, फेक कागजात पर दिया गया फर्जी किसानों को लाभ

टपक सिंचाई स्कीम के थर्ड पार्टी जांच की जिम्मेदारी नैबकॉन की ही है. नैबकॉन और नाबार्ड को इचाक, बरही, चौपारण एवं केरेडारी में योजना में हो रही गड़बड़ी की जानकारी दी गयी थी. इसके बावजूद नैबकॉन ने कोई कार्रवाई नहीं की

हजारीबाग जिले में टपक सिंचाई योजना में गड़बड़ी की पुष्टि हुई है. जिस एजेंसी को स्कीम की जांच की जिम्मेदारी दी गयी थी, उसी ने गलत रिपोर्ट दी है. इसकी जांच करायी गयी तो पता चला कि फर्जी कागजात पर ही फर्जी किसानों का लाभ दिया गया है. ऐसे किसानों के नाम पर भी स्कीम का लाभ दे दिया गया है, जिसका कहीं अता-पता नहीं है. मामला प्रकाश में आने के बाद कृषि निदेशक चंदन कुमार ने स्कीम का थर्ड पार्टी वेरीफिकेशन के लिए तय एजेंसी नैबकॉन के फील्ड मॉनिटर पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है.

उन्होंने आपूर्तिकर्ता कंपनी, लोकल डिस्ट्रिब्यूटर और वेंडर पर भी प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश हजारीबाग के जिला कृषि पदाधिकारी को दिया है. उन्होंने लिखा है कि स्कीम के थर्ड पार्टी जांच की जिम्मेदारी नैबकॉन की ही है. नैबकॉन और नाबार्ड को इचाक, बरही, चौपारण एवं केरेडारी में योजना में हो रही गड़बड़ी की जानकारी दी गयी थी. इसके बावजूद नैबकॉन ने कोई कार्रवाई नहीं की. इस प्रकार योजना के अनुश्रवण और सत्यापन में नैबकॉन ने घोर लापरवाही बरती है.

इस काम में आपूर्तिकर्ता कंपनी और स्थानीय वितरक द्वारा भी गड़बड़ी की गयी है. योजना के तहत एक हेक्टेयर पर औसतन 60-70 हजार रुपये खर्च आता है. इसमें किसान का अनुदान मात्र 10 फीसदी ही होता है. 90 फीसदी राज्य और केंद्र सरकार मिलाकर देती है.

नैबकॉम ने भी रखा पक्ष :

नैबकॉम ने कृषि निदेशक को बताया है कि संस्था केवल लाभुक का आधार कार्ड जांच करती है. आधार कार्ड के वेरीफिकेशन का कोई साधन उन लोगों के पास नहीं है. इस कारण इसमें गलत होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. खेत लाभार्थी का है कि नहीं, इसकी जानकारी नैबकॉन की नहीं होती है. खेत की जांच आवेदन स्वीकृति से पहले विभाग का ही है.

कृषि सचिव ने मामले की जांच के लिए बनायी कमेटी

कृषि सचिव अबु बकर सिद्दीख ने मामला संज्ञान में आने के बाद हजारीबाग के अपर समाहर्ता सह अनुमंडल पदाधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी बनायी है. कमेटी में संयुक्त कृषि निदेशक सत्येंद्र प्रसाद, जिला उद्यान पदाधिकारी अरुण कुमार और सहायक निदेशक गन्ना को सदस्य के रूप में रखा गया है. कमेटी को एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट देने को कहा गया है. सचिव ने लिखा है कि ऐसी जानकारी मिली है कि सूक्ष्म सिंचाई योजना में व्यापक अनियमितता बरती गयी है.

केस स्टडी-1

भुसाई के ग्रामीणों ने बताया कि जिन किसानों को सिंचाई की सुविधा मिली है, वह उनका खेत है ही नहीं. भुसाई के कृष्णनारायण सिंह ने बताया कि जिस खेत पर टपक सिंचाई मशीन लगी है, वह गगन देवी का है. पूछने पर बताया गया कि यहां कोडरमा के किसी व्यक्ति द्वारा खेती की जा रही है. एक लाभार्थी संतु कुमार सिंह ने जांच टीम को बताया कि उनको टपक सिंचाई की सुविधा मिली ही नहीं है. उसका आधार कार्ड दीपक कुमार ने स्प्रेयर दिलवाने के नाम पर लिया था. उसे इस मामले में कुछ पता नहीं है.

केस स्टडी-2

चौपारण प्रखंड के अनगुणिया गांव में किसान अर्जुन सिंह के आठ हेक्टेयर में 1.07 लाख रुपये की लागत से सूक्ष्म सिंचाई योजना लगायी गयी थी. इसके लिए श्री सिंह का आधार कार्ड संबंधित कंपनी के प्रतिनिधि ने मांगा था. कहा गया था कि डेढ़ से दो हजार रुपये देने पर स्कीम का लाभ मिल जायेगा. किसान ने आधार कार्ड देने से इनकार कर दिया था. इसके बावजूद उसके यहां सूक्ष्म सिंचाई योजना का सामान लगा दिया गया. इसके लिए उन्होंने किसान को अनुदान भी नहीं दिया था.

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