प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने दस्तावेज में जालसाजी कर बेची गयी 74.39 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन को अस्थायी रूप से जब्त करने का आदेश जारी किया है. इसमें सेना के कब्जेवाली 4.55 एकड़ जमीन और हेहल अंचल के बजरा मौजा की 7.16 एकड़ जमीन शामिल है. इडी द्वारा जारी आदेश में दोनों ही जमीन को अस्थायी तौर पर जब्त करने का कारण इसकी खरीद-बिक्री में मनी लाउंड्रिंग का सहारा लिया जाना बताया गया है. आदेश में यह भी कहा गया है कि दोनों ही जमीनों की खरीद-बिक्री में रांची के तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन की भूमिका महत्वपूर्ण है
रिपोर्ट में सेना के कब्जेवाली जमीन का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि मौजा मोरहाबादी के एमएस प्लॉट नंबर-557 की 4.55 एकड़ जमीन पर जयंत कर्नाड का दावा गलत है. यह जमीन आजादी के पहले से ही सेना के कब्जे में है. कोलकाता स्थित रजिस्ट्री कार्यालय में रखे गये जमीन के मूल दस्तावेज में जालसाजी कर प्रदीप बागची को फर्जी मालिक बनाया गया. इसके बाद सरकारी अधिकारियों के सहयोग से यह जमीन जगत बंधु टी स्टेट को बेच दी गयी.
सेल डीड में जमीन खरीदने के लिए फर्जी मालिक प्रदीप बागची को 11 चेक के सहारे सात करोड़ रुपये का भुगतान दिखाया गया है. हालांकि, इसमें से सिर्फ 25 लाख रुपये के एक ही चेक बुक प्रदीप के खाते में जमा हुआ. शेष 10 चेक के सहारे 6.75 करोड़ के भुगतान का दावा फर्जी है. सरकार द्वारा निर्धारित दर जमीन की कीमत 20.75 करोड़ रुपये है.
लेकिन, सिर्फ सात करोड़ रुपये में बिक्री दिखायी गयी. जमीन की खरीद में मनी लाउंड्रिंग के लिए जगत बंधु टी स्टेट का इस्तेमाल किया गया. जमीन की खरीद-बिक्री के लिए रची गयी साजिश में तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन, अमित अग्रवल, प्रेम प्रकाश सहित अन्य शामिल थे. जमीन के मामले में हुई इस जालसाजी का वास्तविक लाभ अमित अग्रवाल को मिला.
उपायुक्त के आदेश किया गया था हेहल अंचल की जमीन का म्यूटेशन : इडी द्वारा जारी रिपोर्ट में हेहल अंचल के बजरा मौजा की जमीन का उल्लेख करते हुए कहा गया कि खाता नंबर-140, प्लॉट नंबर-1323, 1324, 1333, 1334 और 1338 में कुल 7.16 एकड़ भूमि निहित है. इस जमीन पर मालिकाना हक को लेकर कई लोगों के बीच दावेदारी चल रही थी. इस बीच जमीन दलाल सुधीर दास ने विनोद सिंह से संपर्क कर यह कहा कि हेहल अंचल में उसके पूर्वजों की संपत्ति है.
वह संपत्ति हासिल करने में उसकी मदद कर सकता है. इस दावे के साथ उसने विनोद सिंह का आधार नंबर सहित अन्य दस्तावेज लिये. काफी दिनों बाद सुधीर दास फिर उसके पास आया और रवि सिंह भाटिया और श्याम सिंह के साथ जमीन बेचने का एक एकरानामा करवाया. इसके बाद विनोद ने यह जमीन चार सेल डीड के सहारे रवि सिंह भाटिया और श्याम सिंह को बेच दी. सेल डीड में जमीन की कीमत के तौर पर विनोद सिंह के खाते में 15.10 करोड़ रुपये देने का दावा किया गया. सरकारी दर सह जमीन की कीमत 29.75 करोड़ रुपये आंकी गयी है.
जांच में यह पाया गया कि विनोद के खाते में 15.10 करोड़ के बदले सिर्फ 3.66 करोड़ रुपये ही ट्रांसफर किये गये. विनोद के खाते में पैसा आने के तत्काल बाद इसे सीएसएन डेवलपर्स और गणपति स्टील इंटर प्राइजेज के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया. विनोद सिंह के नाम पर जमीन के म्यूटेशन का दावा उपायुक्त की नीचे की राजस्व अदालतों ने खारिज कर दिया. लेकिन, तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन अपील स्वीकार कर ली और विनोद के नाम पर म्यूटेशन करने का आदेश दिया. उपायुक्त ने 150 पुलिस जवानों को तैनात कर जमीन की घेराबंदी भी करवा दी.