वाराणसी. G-20 देशों के मंत्रियों की बैठक में सोमवार को यूक्रेन विवाद की छाया रही. यूक्रेन का जिक्र करने पर चीन नाराज हो गया. जिसके कारण कोई साझा घोषणा पत्र जारी नहीं हो सका. संयुक्त घोषणा पत्र की जगह जो प्रपत्र जारी किया गया उसे ‘आउटकम डाक्यूमेंट (परिणाम प्रपत्र) एंड चेयर्स समरी (अध्यक्ष देश का सार)’ कहा गया. बताया जा रहा है कि इस प्रपत्र में यूक्रेन विवाद का जिक्र किया गया है. वहीं रूस को जिम्मेदार भी ठहराया गया है.
रूस ने इस प्रपत्र से अपने आपको अलग कर लिया. जबकि चीन का कहना है कि इसमें यूक्रेन का जिक्र नहीं होना चाहिए था. यह बैठक विदेश मंत्री एस जयशंकर की अध्यक्षता में हुई थी. बैठक के बाद प्रेस कॉंफ्रेंस में जब विदेश मंत्री जयशंकर से इस बारे में पूछ गया तो कहा कि किस देश ने समर्थन किया और किसने विरोध किया, मैं इसमें नहीं जाना चाहता हूं. लेकिन सभी ने अपने हितों के संदर्भ में बात की. बताया जा रहा है कि इसके पहले जी-20 के वित्त मंत्रियों और विदेश मंत्रियों की बैठक में भी यूक्रेन विवाद का जिक्र होने की वजह से ही संयुक्त घोषणा पत्र जारी नहीं किया जा सका था.
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वाराणसी में तीन दिवसीय चल रही जी-20 बैठक में दुनिया की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाले G-20 देशों के विकास मंत्रियों ने भारत के वसुधैव कुटुंबकम की धारणा को आत्मसात किया. वहीं सभी तरह की चुनौतियों से एक परिवार की तरह पार पाने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई. भारत की तरफ से एक धरती, एक परिवार व एक भविष्य का प्रस्ताव रखा गया. इस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने सहमति जताई. हस्तकला संकुल में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर की अध्यक्षता वाले सम्मेलन में दक्षिणी गोलार्ध सहित दुनियाभर के सभी देशों की चुनौतियों पर चर्चा की गई. इस दौरान कहा गया कि एक परिवार, एक भविष्य व एक पृथ्वी के संकल्प के साथ आगे बढ़ना है. कोरोना महामारी के बाद की स्थिति, जलवायु परिवर्तन और जरूरतमंद लोगों की मदद के वैश्विक प्रयासों को बढ़ाने पर सहमति बनी.