प्रयागराज : संगम नगरी के प्राचीन मंदिर श्री मनकामेश्वर के प्रबंधन समिति ने परिसर के गर्भगृह में प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं के लिए ड्रेस कोड लागू कर दिया है. मंदिर के मुख्य द्वार पर सात सूत्री ड्रेस कोड का नोटिस बोर्ड लगाया गया है. इसमें लिखा है कि मंदिर साधना की जगह है, परिसर में वेस्टर्न ड्रेस, जींस-टॉप पहनकर आने पर रोक रहेगी. श्रद्धालुओं को समृद्ध भारतीय संस्कृति और परंपरा के बारे में जागरूक होना चाहिए और मंदिर में प्रवेश करते समय और देवताओं की पूजा करते समय सभ्य कपड़े पहनने चाहिए.
मनकामेश्वर मंदिर के प्रधान पुजारी श्रीधरानंद का कहना है कि पुरुषों को धोती-कुर्ता पहनना चाहिए, जबकि महिलाओं को साड़ी पहननी चाहिए. कई बार यह देखा गया है कि लोग मंदिर में शॉर्ट्स, जींस, स्कर्ट जैसे छोटे-उत्तेजक कपड़े पहन कर आते हैं. जिससे यहां का माहौल भक्तिमय के बजाए भड़काऊ हो जाता है, जो हमारी संस्कृति और सनातन सभ्यता के खिलाफ है. यह भयावह और अशोभनीय है. इसलिए, हमने मंदिर के मुख्य द्वार पर एक नोटिस बोर्ड लगा दिया है, जिसमें महिलाओं और युवतियों से शालीन कपड़े पहन कर मंदिर आने की अपील की गई है.
पुरुषों को भी शालीन कपड़े पहन कर मंदिर आने की नसीहत दी गई है. उन्होंने आगे कहा कि मंदिर में रोजाना हजारों श्रद्धालु दर्शन-पूजन करने आते हैं. कुछ दिन से लोगों के पहनावे में गिरावट आ रही है. महिला और पुरुष सभी पहनावे को लेकर लापरवाह हुए हैं. मंदिर में प्रवेश की किसी को मनाही नहीं है, लेकिन गलत पहनावे चलते चोरी-छिनैती और लव जिहाद जैसी घटनाएं हो रही हैं. धर्म गुरुओं की जिम्मेदारी है कि पहनावे को लेकर दिशा-निर्देश दें.
उन्होंने पहले लोगों को जागरूक करने की बात कही. बाद में सख्ती से इंट्री भी बैन कर दी जाएगी. मनकामेश्वर मंदिर में ड्रेस कोड लागू करने का फैसला चर्चा का सबब बना हुआ है. ज्यादातर महिलाओं ने फैसले का स्वागत किया है. उनका कहना है कि फैसले में कुछ भी गलत नहीं है. हालांकि, कुछ महिलाओं ने अनौपचारिक तौर पर बातचीत में ड्रेस कोड पर एतराज जताया. उनका कहना है कि महिलाओं को फोकस करना कतई ठीक नहीं है. कम से कम धार्मिक स्थल पर महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए.
मंदिर पवित्र साधना स्थल है। यहां स्त्री और पुरुष भक्ति-भाव से प्रवेश करें.
महिलाएं व युवतियां छोटे व भड़कीले कपड़े पहनकर मंदिर परिसर में प्रवेश ना करें.
महिलाएं व युवतियां शालीन कपड़ों में पूरा तन ढककर ही मंदिर परिसर में प्रवेश करें.
छोटे कपड़े पहनकर आने वाली महिलाओं और युवतियों को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा.
सोने-चांदी के ज्यादा आभूषण पहनकर मंदिर में ना आएं, क्योंकि उससे छिनैती और चोरी का भय बना रहता है.
पुरुष व युवक भी शालीन कपड़ों में मंदिर में प्रवेश करें. शिवलिंग के पास अधिक देर तक ना बैठें. पूजन करने के तत्काल बाद बाहर निकल जाए.
मंदिर परिसर में सेल्फी लेना और फोटो खींचना मना है.
तीर्थराज प्रयागराज के पवित्र संगम से करीब पांच सौ मीटर पहले यमुना तट पर स्थित प्राचीन मनकामेश्वर मंदिर का जिक्र पुराणों में भी हैं. त्रेता युग में वनवास के लिए जाते समय मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने भी यहां पर जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की थी. ऐसे में इस मंदिर का महत्व बेहद खास हो जाता है. मंदिर में रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए आते हैं.
सोमवार के दिन हजारों की भीड़ उमड़ती है. पूरे सावन मास और महाशिवरात्रि समेत दूसरे खास मौकों पर भीड़ को संभालना मुश्किल हो जाता है. श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा होने से मंदिर में तिल रखने तक की जगह नहीं होती. मनकामेश्वर मंदिर में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का भी स्थान है.