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झारखंड में साल 2011 के बाद 2 ही बार हुई टेट परीक्षा, RTE मानक अनुरूप न ही शिक्षक है न ही स्कूल में संसाधन

खंडपीठ ने सरकार को इस मामले 1 हफ्ते अंदर जवाब देने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 20 जून को होगी. अब अदालत में सरकार क्या जवाब देती है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

झारखंड में शिक्षकों की कमी का मुद्दा सदन से लेकर सड़क तक उठता रहता है. इसे लेकर सियासत भी खूब होती है. लेकिन शिक्षक पात्रता परीक्षा का इंतजार करते करते वर्षों बीत जाता है. स्थिति ये है कि राज्य में परीक्षा की आस लिये विद्यार्थियों की उम्र निकल जाती है. इसे लेकर कल हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि 2016 के बाद से शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) क्यों नहीं हुई.

खंडपीठ ने सरकार को इस मामले 1 हफ्ते अंदर जवाब देने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 20 जून को होगी. अब अदालत में सरकार क्या जवाब देती है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि साल 2011 के बाद से झारखंड में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) केवल 2 बार ही हुई. वर्ष 2011 के बाद पहली बार परीक्षा 2013 में तो वहीं दूसरी बार 2016 में हुई. इस दौरान 3 बार नियमावली बनी और संशोधन हुआ. पहली नियमावली वर्ष 2012 में बनी थी. 2016 में इसमें बदलाव हुआ. तीसरा संशोधन साल 2022 में हुआ.

2011 से लागू है शिक्षा का अधिकार अधिनियम

झारखंड में साल 2011 से शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीइ) लागू है. इस अधिनियम के लागू होने के लगभग 12 वर्ष बाद भी सरकार राज्य के आधे से अधिक स्कूलों में बच्चों को शिक्षा का अधिकार देने में विफल साबित हुई है. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, कुल 34847 प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में से 22633 विद्यालयों में आरटीइ के मानक के अनुरूप न तो शिक्षक हैं और न ही आवश्यक संसाधन.

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