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जज बन DGP को कॉल करने वाले अभिषेक का नया कारनामा, जनरल वार्ड में शिफ्ट होने के लिए हड़का रहा था जेल अधीक्षक को

बेऊर जेल में बंद जालसाज अभिषेक अग्रवाल ने जनरल वार्ड में शिफ्ट होने के लिए जेल अधीक्षक काे दाे बार व उपाधीक्षक को चार बार कॉल किया. लेकिन जेल अधीक्षक जितेंद्र कुमार ने उसे पहचान लिया और छापेमारी कर उसके पास से स्मार्टफोन बरामद कर लिया.

पटना के बेऊर जेल में बंद जालसाज अभिषेक अग्रवाल उर्फ अभिषेक भोपालिका के पास से स्मार्टफोन बरामद होने के मामले में पटना पुलिस के साथ ही जेल प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है. अभिषेक की हरकतों के कारण जेल प्रशासन ने उसे हाइ सिक्योरिटी सेल में बंद कर दिया था, जिसके कारण वह परेशान था और इसके लिए ही उसने केंद्रीय गृह मंत्रालय का सचिव व एडीजी मुख्यालय का डीपी लगाकर जेल अधीक्षक जितेंद्र कुमार व उपाधीक्षक राजेश कुमार सिंह काे वाट्सएप काॅल किया. उसकी इच्छा थी कि उसे सेल से निकाल कर जनरल वार्ड में रख दिया जाये, साथ ही उसके मनचाहे खाने की भी व्यवस्था हो. साथ ही जेल ऑफिस में ही बैठ कर अपने मुलाकातियों से भेंट करने की डिमांड की थी.

जेल अधीक्षक काे दाे बार व उपाधीक्षक को चार बार किया कॉल

सेल में बंद कैदियों के लिए नियम कड़े होते हैं और निगरानी भी की जाती है. बाहर निकलने का भी समय तय रहता है. साथ ही सेल में बंद कैदियों के मुलाकातियों पर भी नजर रहती है. जिसके कारण उसे सेल में परेशानी हो रही थी. उसने जेल अधीक्षक काे दाे बार व उपाधीक्षक को चार बार कॉल किया. लेकिन जेल अधीक्षक जितेंद्र कुमार ने उसे पहचान लिया और छापेमारी कर उसके पास से स्मार्टफोन बरामद कर लिया.

चला रहा था वाट्सएप व फेसबुक

मामले में बेऊर थाने में अभिषेक अग्रवाल के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. इसके केस के आइओ सब इंस्पेक्टर अशोक ओझा बनाये गये हैं. जिस समय मोबाइल फोन बरामद हुआ, उस समय कैदी राजा भी वहीं था. पुलिस इन दोनों की भूमिका की जांच कर रही है. सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने उसके मोबाइल फोन की जांच की है. जिसमें यह जानकारी मिली है कि वह फेसबुक व वाट्सएप भी चला रहा था. पुलिस उन लोगों के नाम व पता की जानकारी ले रही है, जिससे अभिषेक लगातार चैटिंग करता था. उन सभी से पूछताछ की जायेगी. साथ ही मोबाइल फोन का सीडीआर निकाला जा रहा है, जिससे यह स्पष्ट हो जायेगा कि वह किन-किन लोगों से लगातार बात करता रहा है. उसके मोबाइल फोन के मैसेंजर, गूगल हिस्ट्री को भी खंगाला जा रहा है.

इसके अलावा जिन जेल कर्मियों का नाम मोबाइल फोन उपलब्ध कराने में सामने आया है, उनके भी नंबर का सीडीआर निकाला जायेगा. बरामद सिम कार्ड पश्चिम बंगाल के भरत दास के नाम पर है, जो बिना उसकी अनुमति पर लिये जाने की आशंका है. क्योंकि कोलकाता से ही दूसरों के नाम पर उसके कागजात के आधार पर सिम कार्ड ले लिये जाते हैं. जिसका इस्तेमाल पूरे बिहार के जेलों में होता है. साथ ही इन सिम कार्ड का इस्तेमाल साइबर बदमाश भी करते हैं.

साइबर बदमाशों का एक गिरोह पत्रकार नगर पुलिस ने पकड़ा था, उस समय कोलकाता से ही दस से 20 हजार रुपये कीमत में सिम कार्ड खरीदे जाने के मामले का खुलासा हुआ था. सूत्रों का यह भी कहना है कि वह अपने स्मार्टफोन से दूसरे कैदियों को भी वीडियो कॉल से बात कराता था. उसके मोबाइल फोन को जांच के लिए एफएसएल भी भेजा जायेगा. साथ ही अभिषेक व राजा को भागलपुर जेल भी शिफ्ट किया जा सकता है.

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स्मार्ट फोन बरामद होने का दूसरा मामला

बेऊर जेल के अंदर से हमेशा कीपैड वाला मोबाइल फोन ही बरामद होता था. क्योंकि यह छोटा और इस्तेमाल करने में आसान होता है. जेल के अंदर स्मार्ट फोन बरामद होने का यह दूसरा मामला है. पहला मामला दुष्कर्म के एक आरोपित राहुल कुमार का था. उसके पास से भी स्मार्ट फोन बरामद किया गया था. उसने अपने स्मार्टफोन से पीड़िता के परिजनों को धमकी दी थी और जेल के अंदर होली की तस्वीर भी डाली थी. इस बात की जानकारी मिलने पर पुलिस ने छापेमारी की थी और उसके पास से स्मार्टफोन बरामद किया गया था.

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