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खूंखार था जीवा लेकिन पुलिस हिरासत में हत्या उचित नहीं, ये बात कहकर हाईकोर्ट ने खारिज कर दी सीबीआई जांच की मांग

Jeeva murder case : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने संजीव माहेश्वरी उर्फ ​​जीवा हत्याकांड की जांच राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी से सीबीआई या किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश को स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया है.

लखनऊ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने संजीव माहेश्वरी उर्फ ​​जीवा हत्याकांड की जांच राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी से सीबीआई या किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश को स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया है.न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की अवकाश पीठ ने स्थानीय वकील मोती लाल यादव द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया है. खंडपीठ ने कहा कि याचिका बहुत ही अपरिपक्व अवस्था में दायर की गई है क्योंकि इस मामले में एसआईटी के गठन के कुछ ही दिन हुए हैं.इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उम्मीद की है कि एसआईटी निष्पक्ष और त्वरित जांच करेगी.

वकील मोती लाल यादव ने दायर की थी याचिका

याचिकाकर्ता एवं स्थानीय वकील मोती लाल यादव ने कहा था कि अदालत कक्ष में हुई घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया है. इसकी जांच सीबीआई या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा की जानी चाहिए.याचिका का निस्तारण करते हुए पीठ ने स्पष्ट किया है कि यदि याचिकाकर्ता एसआईटी की जांच से असंतुष्ट है तो याचिका बाद में दायर की जा सकती है.

राज्य सरकार घटना को लेकर गंभीर : महाधिवक्ता

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में राज्य सरकार की ओर से जनहित याचिका का विरोध करते हुए महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा ने तर्क दिया था कि राज्य सरकार इस घटना को गंभीरता से ले रही है. इसलिए उसी दिन उसने घटना की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय एसआईटी गठित की है. एसआईटी जांच कर रही थी और कि याचिकाकर्ता इस बात का कोई कारण नहीं बता सका कि जांच को किसी अन्य एजेंसी को क्यों स्थानांतरित किया जाना चाहिए.

बार संघों के सदस्य सुरक्षा जांच में सहयोग करेंंगे

सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि मृतक एक खूंखार अपराधी था, लेकिन पुलिस हिरासत में उसकी हत्या को किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता. सुनवाई में, पीठ ने बार संघों के सदस्यों से अदालत परिसरों में सुरक्षा जांच में सहयोग करने की भी अपेक्षा की. इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दोनों पक्षों ने खूब तर्क दिए.

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