International Day of Family Remittances 2023: परिवार प्रेषण का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of Family Remittances – IDFR) संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया था और 16 जून को मनाया जाता है. आईडीएफआर 200 मिलियन से अधिक प्रवासी कामगारों, महिलाओं और पुरुषों को मान्यता देता है, जो 800 मिलियन से अधिक परिवार के सदस्यों को घर पैसा भेजते हैं. यह दिन आर्थिक असुरक्षा, प्राकृतिक और जलवायु संबंधी आपदाओं और एक वैश्विक महामारी का सामना करने में प्रवासी श्रमिकों के महान लचीलेपन पर प्रकाश डालता है.
आईडीएफआर संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) द्वारा अपनाया गया एक सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त पालन है. इन उद्देश्यों के लिए आईडीएफआर का संरक्षक संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएफएडी) है. आईएफएडी एक विशेष संयुक्त राष्ट्र (यूएन) एजेंसी है जो विश्व खाद्य सम्मेलन 1974 के प्रमुख परिणामों में से एक थी. बाद में 1977 में, इसे एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान के रूप में स्थापित किया गया था.
प्रेषित धन वह धन है जो किसी अन्य पार्टी को भेजा जाता है, सामान्यत: एक देश से दूसरे देश में. प्रेषक आमतौर पर एक अप्रवासी होता है और प्राप्तकर्त्ता एक समुदाय/परिवार से संबंधित होता है. दूसरे शब्दों में रेमिटेंस या प्रेषण से आशय प्रवासी कामगारों द्वारा धन अथवा वस्तु के रूप में अपने मूल समुदाय/परिवार को भेजी जाने वाली आय से है. मालूम हो कि दुनिया में प्रेषित धन या रेमिटेंस का सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता भारत है.
आपको बता दें कि विदेश से प्रवासी भारतीयों द्वारा भेजी जानी वाली राशि भारत की जीडीपी का 3% है. इससे ये तो स्पष्ट है कि हम इस पर बहुत निर्भर हैं, लेकिन इतना जरूर है कि विदेश से भेजी जानी वाली यह राशि आम तौर पर नियमित भारतीय परिवारों की मदद करती है, यह उनके जीवन स्तर को सुधारने में मदद करती है. यह राशि उन परिवारों को कर्ज से बाहर निकलने में मदद करती है, जो कर्ज के बोझ तले दबे होते हैं. विदेशों से आने वाला पैसा बच्चों की शिक्षा पर खर्च होता है. इस पैसे से उन्हें घर बनाने में मदद मिलती है आदि.