जमशेदपुर के भुइयांडीह के बाबुडीह में सुवर्णरेखा नदी के किनारे कचरा डंपिंग एरिया से अवैध अतिक्रमण हटाया जायेगा. इस संबंध में टाटा यूआइएसएल की ओर से पिछले 48 घंटे से लगातार अनाउंसमेंट करायी जा रही है. इसमें कहा गया है कि अगले सात दिनों में अतिक्रमण हटा लिया जाये. ऐसा नहीं करने पर अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गयी है. फिलहाल इस इलाके में लीज भूमि पर अवैध तरीके से 18-20 मकान बना दिये गये हैं.
पक्की दीवार उठाकर गोदाम बनाया गया है. इसके अलावा स्क्रैप टाल संचालित किया जा रहा है. इस संबंध में क्षेत्र के तहसीलदार ने अपनी रिपोर्ट स्थानीय थाने को दे दी है. टाटा स्टील प्रबंधन और प्रशासन को जानकारी मिली है कि संबंधित इलाके में अवैध तरीके से जमीन को प्लाटिंग कर खरीद-बिक्री की जा रही है. कंपनी ने अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध स्थानीय थाना में लिखित शिकायत दर्ज करायी है. अतिक्रमणकारियों पर प्रशासन की ओर से भी केस दर्ज किया जायेगा. इस इलाके में जेएनएसी की ओर से दो मंजिला सामुदायिक शौचालय का निर्माण किया गया है. संबंधित इलाके में जमीन की अवैध खरीद-बिक्री की सूचना पर धालभूम एसडीओ पीयूष सिन्हा, जमशेदपुर सीओ अमित कुमार श्रीवास्तव ने स्थल निरीक्षण किया.
जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (जेएनएसी) के अंतर्गत आने वाले इलाके में नक्शा विचलन कर किये गये अवैध निर्माण और अनियमितताओं पर आगामी छह जुलाई 2023 को सुनवाई होगी. गुरुवार को झारखंड हाइकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश संजय मिश्रा और न्यायाधीश आनंद सेन की खंडपीठ में राकेश झा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. इसमें जेएनएसी ने स्टेटस रिपोर्ट सौंप दी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि आदेशानुसार सारे हलफनामे दायर हो चुके हैं.
खंडपीठ अब इस मामले की मेरिट पर सुनवाई कर सकती है. याचिकाकर्ता ने अक्षेस के हलफनामा के खिलाफ अपना प्रत्युत्तर दायर किया. अदालत ने अधिवक्ताओं को हलफनामों का सॉफ्ट कॉपी दायर करने को कहा. सुनवाई के दौरान एक अधिवक्ता ने पिटीशन के समर्थन में हस्तक्षेपकर्ता बनने की इजाजत चाही. जिसे खंडपीठ ने मंजूर कर लिया. चूंकि सारे हलफनामे ऑन रिकार्ड नहीं थे, इसलिए खंडपीठ ने अग्रिम सुनवाई की नयी तारीख निर्धारित कर दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव और रोहित सिंहा ने पैरवी की.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि जमशेदपुर अक्षेस ने अधिकतम जी प्लस वन से फोर तक के लिए नक्शा स्वीकृत किया है. 1246 भवन अवैध रूप से जी प्लस 6 से लेकर 9 तक बनाये गये हैं. सारे अवैध भवनों में पार्किंग की जगह को कॉमर्शियल उपयोग के लिए बेच दिया गया है. जमीन के प्लॉट में अधिकतम 50 फीसद तक निर्माण की जगह 100 फीसद या उससे अधिक निर्माण किया गया है. किसी भी भवन में वाटर हार्वेस्टिंग और ग्राउंड वाटर रिचार्ज, विद्युत तड़ित चालक की व्यवस्था नहीं है. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने उन्हें व्यक्तिगत तौर पर भी हलफनामा सौंपा है. वह अगली सुनवाई से पहले एक नया हलफनामा दायर कर ये सारे दस्तावेज और तथ्यों को खंडपीठ के संज्ञान में लायेंगे.
जमशेदपुर अक्षेस ने खुद माना है कि 578 आवेदनों में सिर्फ 18 भवनों को ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट और कंप्लीशन सर्टिफिकेट निर्गत किया है. आरोप लगाया गया है कि इसके बावजूद सारे अवैध भवनों में टाटा स्टील ने डीसी और जमशेदपुर अक्षेस के विशेष अधिकारियों की मिलीभगत से अपने व्यवसायिक हित के लिए बिजली, पानी मुहैया करा दिया. सारे अवैध भवनों के फ्लैटों को बिल्डरों ने अवैध तरीके से बेच दिया. ज्ञातव्य है कि पिछली सुनवाई में खंडपीठ ने अदालत के वर्ष 2011 के अवैध निर्माणों को गिराने के आदेशों की लगातार 10-11 वर्षों से अवहेलना करने पर नाराजगी जाहिर करते हुए अक्षेस को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने को कहा था.