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‘जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम्’ के उद्घोष के साथ ‘वैश्विक हिंदू राष्ट्र महोत्सव का शुभारंभ

गोवा के पोंडा में ‘जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम्’ के उद्घोष के साथ ‘वैश्विक हिंदू राष्ट्र महोत्सव का प्रारंभ हुआ है. इस अधिवेशन में देश- विदेश से आये 312 से अधिक हिंदू संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित हैं.

देश में आज हिंदू 80 प्रतिशत हैं, परंतु वे जाति, प्रांत में विभाजित हो गये हैं. वर्ष 1790 में भारत में हिंदुओं की संख्या लगभग 100 प्रतिशत थी. हिंदू संगठित नहीं हैं, यह हमारे पराभव का प्रमुख कारण है. प्राचीन लड़ाई तलवार के बल लड़ी गयी थी जबकि आज की लड़ाई आर्थिक स्तर पर चल रही है. इसका जवाब देने के लिए प्रत्येक व्यवसाय में हिंदुओं को जोड़कर अपनी आर्थिक शक्ति को बढ़ाना होगा. उक्त बातें ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’ के कार्याध्यक्ष और वीर सावरकरजी के पोते रणजित सावरकरजी ने वैश्विक हिंदू राष्ट्र महोत्सव के उद्‌घाटन अवसर पर कही.

हिंदू शक्ति हिंदू राष्ट्र निर्माण के लिए जोड़ी जायेगी

गोवा के पोंडा में ‘जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम्’ के उद्घोष के साथ ‘वैश्विक हिंदू राष्ट्र महोत्सव का प्रारंभ हुआ है. इस अधिवेशन में देश- विदेश से आये 312 से अधिक हिंदू संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित हैं. महोत्सव में सद्गुरु (डॉ) चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिंदू जनजागृति समिति ने कहा कि ‘वैश्विक हिंदू राष्ट्र महोत्सव’ से एकत्रित हुई हिंदू शक्ति हिंदू राष्ट्र निर्माण के लिए जोड़ी जायेगी. उन्होंने कहा कि खालिस्तान का आतंकवाद, श्रीरामनवमी-हनुमानजयंती आदि त्योहारों पर हिंसा की बढ़ती संख्या, समलैंगिक विवाह का समर्थन, ‘लिव इन रिलेशनशिप’ के व्यभिचार सहित अनेक मुद्दे हमारे सामने हैं. इन समस्याओं का निदान ‘सेक्युलर’ राज्यव्यवस्था में संभव नहीं है, हिंदू राष्ट्र में ही इन समस्याओं का निराकरण संभव है.

ग्रंथों का लोकार्पण

इस अवसर पर ‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ जयंत आठवले की अनमोल सीख’ (खंड १) : साधना प्रत्यक्ष सिखाने की पद्धति’ का लोकार्पण किया गया. यह ग्रंथ हिंदी एवं मराठी भाषा में प्रकाशित है, इसका लोकार्पण भागवताचार्य श्री राजीवकृष्णजी महाराज झा, भागिरथी महाराज, रामज्ञानीदास महात्यागी महाराज, अधिवक्ता हरिशंकर जैन, महंत दीपक गोस्वामी ने किया. दुर्गेश परुळकर द्वारा लिखित ग्रंथ ‘महाभारत के अलौलिक चरित्र : खंड १, निष्काम कर्मयोगी भीष्म’ का लोकार्पण दुर्गेश परुळकर, सद्गुरु डॉ चारुदत्त पिंगळे, केरलीय क्षेत्र परिपालन समिति के आचार्य पीपी एम नायर, यतीमाँ चेतनानंद सरस्वती के करकमलों से किया गया. महोत्सव का प्रारंभ शंखनाद एवं दीप प्रज्ज्वलन से किया गया. दीपप्रज्जवलन के उपरांत वेदमंत्रों का पठन हुआ. इस समय सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ जयंत आठवलेजी के संदेश का वाचन सद्गुरु सत्यवान कदम ने किया.

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