देश में न्याय तक पहुंच प्रदान करने के मामले में उत्तर भारत के राज्यों की स्थिति चिंताजनक है. इसी क्रम में झारखंड की न्यायपालिका पर भी वर्तमान में छह लाख से अधिक मुकदमों (6,03,870) का बोझ है. हर दिन मुकदमों की संख्या में वृद्धि हो रही है. वहीं अदालतों द्वारा मुकदमों का निष्पादन भी हो रहा है. कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाये, तो लोगों को न्याय पाने के लिए निचली अदालतों में वर्षों तक इंतजार करना पड़ता है.
झारखंड हाइकोर्ट में 37 वैसे केस है, जो 30 साल से अधिक समय से लंबित हैं. इसमें सिविल के 36 व क्रिमिनल के एक केस शामिल हैं. हाइकोर्ट में कुल लंबित मामलों की संख्या 85,688 हैं. इसमें सिविल के 37,916 व क्रिमिनल के 47,772 केस शामिल हैं. हाइकोर्ट में चीफ जस्टिस सहित 20 न्यायाधीश कार्यरत हैं. एक न्यायाधीश पर लगभग 4284.4 केस का भार है. वहीं राज्य भर के सिविल कोर्ट में 5,18,182 मुकदमें लंबित हैं, जिसमें सिविल के 87,688 तथा क्रिमिनल के 4,30,494 शामिल हैं.
सिविल कोर्ट में 30 वर्षों से अधिक समय से लंबित 370 केस हैं, जिसमें सिविल के 133 व क्रिमिनल के 237 केस शामिल हैं. सिविल कोर्ट में 506 न्यायिक अधिकारी हैं. एक न्यायिक पदाधिकारी पर करीब 1024 केस का भार है. ये आंकड़े नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) ने जारी किये हैं.
जिला लंबित मुकदमे
बोकारो 20802
चतरा 20716
पलामू 33664
देवघर 26838
धनबाद 61841
दुमका 13658
जमशेदपुर 47416
गढ़वा 18782
जिला लंबित मुकदमे
गिरिडीह 42754
गोड्डा 19415
गुमला 10886
हजारीबाग 38474
जामताड़ा 7165
खूंटी 4883
कोडरमा 15920
लातेहार 9515
लोहरदगा 6139
पाकुड़ 6863
रामगढ़ 14966
रांची 68054
साहिबगंज 10207
सरायकेला 8218
सिमडेगा 4010
चाईबासा 6996
कुल केस 518182
मुकदमों के मामले में रांची अव्वल नजर आ रहा है. यहां सर्वाधिक 68,054 मुकदमें लंबित हैं. दूसरे स्थान पर धनबाद जिला है, जहां 61,841 मामलों की सुनवाई चल रही है. 47,416 मुकदमों के साथ जमशेदपुर तीसरे स्थान पर है. यदि चाैथा स्थान देखा जाये, तो गिरिडीह (42,754 केस) का नंबर आता है, जबकि सबसे कम 4010 मुकदमा सिमडेगा में लंबित है.