राजेश कुमार ओझा
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बिहार में सीट शेयरिंग का पैटर्न लगभग तैयार कर लिया है. इसकी भनक लगते ही बिहार में राजनीतिक तापमान बढ़ गया है. महागठबंधन छोड़कर एनडीए के साथ गठबंधन का मन बना रहे सहयोगी दलों ने एक तरह से मोर्च खोल दिया है. वाई श्रेणी की सुरक्षा मिलने पर महागठबंधन छोड़ एनडीए के साथ जाने का मन बना रहे वीआईपी पार्टी ने सबसे पहले मोर्चा खोला है. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने कहा कि हमारी पार्टी फिलहाल न तो महागठबंधन के साथ है और न ही एनडीए के साथ. इसलिए वीआईपी पार्टी कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी यह कोई कैसे तय कर सकता है.
बताते चलें कि पिछले दिनों दिल्ली में बीजेपी की हुई बैठक में तय किया गया था कि बीजेपी ने बिहार के 30 लोकसभा सीटों पर खुद अपना उम्मीदवार उतारेगी. जबकि 10 अन्य सीटों पर वह सहयोगी यानी एनडीए में शामिल दलों के उम्मीदवारों का समर्थन करेगी. हाल में नयी दिल्ली में हुई बिहार भाजपा की कोर कमेटी बैठक में इस मुद्दे पर गहन मंथन के बाद सहमति बनी है. इसकी भनक बिहार पहुंचते ही बवाल शुरु हो गया है. सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में भाजपा की हुई बैठक में एनडीए सहयोगियों में लोजपा (रा) और रालोजपा को छह सीटें मिल सकती है.
वर्तमान में रालोजपा के पांच और लोजपा रामविलास के एक सहित कुल छह सांसद हैं. दोनों पार्टियों का पुन: विलय होने पर इनको एकमुश्त छह और अलग-अलग रहने पर 4-2 या 3-3 के अनुपात में सीट मिल सकती है.उपेंद्र कुशवाहा की रालोजद को भी दो से तीन सीट का ऑफर है.एक-एक सीट हम और वीआइपी को दी जा सकती है.हालांकि सीट शेयरिंग पर अंतिम फैसला सहयोगी दलों के रुख पर निर्भर करेगा.
दिल्ली की बैठक में वीआईपी और हम पार्टी को एक-एक सीट देने पर सहमति पर वीआईपी पार्टी भड़क गई है. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि बिहार में हम फिलहाल किसी के साथ नहीं है. 25 जुलाई को हम तय करेंगे कि हमारी पार्टी बिहार में किस दल के साथ मिलकर लोक सभा चुनाव लड़ेगी. वीजेपी की ओर से एक सीट दिए जाने पर देव ज्योति ने कहा कि जब हम बिहार में किसी गठबंधन के फिलहाल हिस्सा नहीं हैं तो फिर कोई यह कैसे तय कर सकता है कि हम कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी 2019 में तीन सीटों पर लोक सभा का चुनाव लड़ चुकी है. 2024 में तो हमारी स्थिति 2019 से बहुत अच्छी है. तो फिर हम एक सीट पर क्यों चुनाव लड़ेंगे. सूत्रों का कहना है कि वीाईपी की ओर से बीजेपी से पांच सीटों की मांग कर रही है. वीआईपी का कहना है कि जब बिहार में चिराग पासवान का जब बिहार में पांच प्रतिशत वोट हैं तो उसे पांच प्रतिशत और हमारा वोट बैंक 14 प्रतिशत है तो हमें एक सीट. बीजेपी ऐसा कैसे फैसला ले सकती है. बीजेपी अगर ऐसा फैसला लेती है तो फिर हम भी 25 जुलाई की अहम बैठक में अपने इस फैसले पर विचार करेंगे.
बीजेपी ने बिहार में अति पिछड़ी जाति के मतदाताओं की संख्या भी 26 फीसदी को पक्ष में करने के लिए मुकेश सहनी को अपने साथ जोड़ा है. इसमें लोहार, कहार, सुनार, कुम्हार, ततवा, बढ़ई, केवट, मलाह, धानुक, माली, नोनी आदि जातियां आती हैं. पिछले चुनावों में ये अलग-अलग दलों को वोट करते रहे हैं. लेकिन 2005 के बाद से इनका बड़ा हिस्सा नीतीश के साथ रहा है.अब बीजेपी इसमें सेंघमारी के लिए बिहार सरकार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी को ‘वार्ई’ श्रेणी की सुरक्षा देकर अपने साथ मिलाने का बीजेपी प्रयास किया था. लेकिन, दिल्ली की बैठक के बाद वीआईपी पार्टी को एक सीट देने की बात सामने आने के बाद बवाल मच गया है.