बिहार में शिक्षकों की बहाली के लिए राज्य सरकार द्वारा बनायी गयी नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से 29 अगस्त तक जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश के वी कृष्णन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुबोध कुमार द्वारा इस मामले को लेकर दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है .
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने राज्य में बड़े पैमाने पर शिक्षकों की बहाली करने के लिए 2023 में नयी नियमावली बनायी है. इसके तहत राज्य में शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया प्रारंभ की गयी है उन्होंने कोर्ट को बताया कि 2023 में राज्य सरकार ने जो नयी नियमावली बनायी है उसके अंतर्गत वर्ष 2006 से 2023 तक बहाल शिक्षकों को इस प्रक्रिया में शामिल होना होगा.
अभिनव श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि नयी नियमावली के अंतर्गत जो शिक्षक बहाल होंगे उन्हें सरकारी सेवक का दर्जा मिलेगा. जो शिक्षक 2006 से कार्यरत हैं उन्हें सरकारी सेवक होने का लाभ नहीं मिलेगा. इस नियमावली के अंतर्गत शिक्षकों की बहाली के लिए परीक्षा ले कर अनुशंसा करने की जिम्मेदारी सरकार ने बिहार लोक सेवा आयोग को सौंपी है.
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अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने बताया कि नियमावली 2006 के अंतर्गत नियुक्त शिक्षकों के योग्यता और कार्य समान है पर नियमावली 2023 के अंतर्गत बहाल शिक्षकों का वेतन अलग होगा जो कि समानता के सिद्धांत का उल्लंघन है. मामले में सुनवाई के दौरान हुई बहस में याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव तो राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल पी के शाही और अधिवक्ता अमीष कुमार ने अपने-अपने पक्ष कोर्ट के सामने प्रस्तुत किये. अब इस मामले में अगली सुनवाई 29 अगस्त 2023 को होगी .