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कानपुर में क्रिकेट मैच के दौरान हुआ विवाद, बॉलर ने बोल्ड किया तो पिच पर गला दबाकर उतारा मौत के घाट

कानपुर में क्रिकेट का खेल एक नाबालिग की मौत पर खत्म हुआ. नाबालिग ने मैच में यॉर्कर फेंकी तो बल्लेबाजी कर रहा किशोर बोल्ड हो गया और तमतमाकर अपने भाई के साथ मिलकर बॉलर की पिच पर ही हत्या कर दी.

Kanpur : घाटमपुर थाना क्षेत्र के रहटी खालसा गांव स्थित बंजारन डेरा में सोमवार की शाम को क्रिकेट का खेल एक नाबालिग की मौत पर खत्म हुआ. नाबालिग ने मैच में यॉर्कर फेंकी तो बल्लेबाजी कर रहा किशोर बोल्ड हो गया और तमतमाकर अपने भाई के साथ मिलकर बॉलर की पिच पर ही हत्या कर दी. नाबालिक की हत्या होने से इलाके में हड़कंप मच गया. मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जाच पड़ताल शुरू की. शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया.

क्या है पूरा मामला

घाटमपुर के बंजारा डेरा गांव के मोहन का बेटा सचिन उर्फ गोलू छह भाई-बहनों में पांचवें नंबर का था. सोमवार की शाम को करीब पांच बजे सचिन दोस्तों के साथ घर के पास क्रिकेट खेल रहा था. सचिन की गेंदबाजी आई तो उसने पड़ोस में रहने वाले किशोर को यॉर्कर डालकर बोल्ड कर दिया, फिर भी उसने बैट नहीं छोड़ा तो कहासुनी शुरू हो गई. तभी बल्लेबाजी करने वाले किशोर का भाई भी आ गया.

दोनों ने पहले मारपीट की फिर पिच पर ही गला दबाकर सचिन की हत्या कर दी. सूचना पर मौके पर पहुंचे परिजन सचिन को लेकर सीएचसी पहुंचे. जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. एसीपी दिनेश शुक्ला ने बताया कि आरोपित भाइयों के खिलाफ 302 का मुकदमा दर्जकर उनकी तलाश की जा रही है.

जद्दोजहद के बाद माने परिजन

आपको बता दें कि सोमवार शाम क्रिकेट मैच के दौरान गेंदबाज सचिन की हत्या के बाद परिजन ने सीएचसी से पुलिस को बिना सूचना दिए शव लेकर गांव चले गए. सीएचसी से पुलिस को सूचना दी गई तब पुलिस गांव पहुंची तो परिवार वाले कार्रवाई को तैयार नहीं थे. न ही पोस्टमार्टम के लिए उन्होंने शव उठाने दिया. चार घंटे की जद्दोजहद के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया. इंस्पेक्टर घाटमपुर विक्रम सिंह ने बताया कि परिजनों ने तहरीर दे दी है. आरोपित सगे भाइयों के खिलाफ हत्या समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है.

सचिन पर ही थी परिवार की जिम्मेदारी

ग्रामीणों की मानें तो सचिन छह भाई-बहन थे लेकिन उसके दो भाई मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं और सचिन ही सभी भाइयों की देखभाल करता था. वह स्कूल नहीं जाता था और मजदूरी करके परिवार के भरण पोषण में सहयोग करता था.

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