मणिपुर में पिछले 2 महीनों जारी जातीय संघर्ष पर विराम लगाने के मद्देनजर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 24 जून को सर्वदलीय बैठक का आह्वान किया है. आपको बताएं की मणिपुर के हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. जिसे लेकर बुधवार को कांग्रेस समेत 10 विपक्षी दलों ने पीएम को एक पत्र लिखा था जिसमें उनकी चुप्पी की आलोचना की गई थी साथ ही मणिपुर में हो रहे जातीय हिंसा पर रोकथाम के लिए कुछ सुझाव भी दिए गए थे.
आपको बताएं कि, बुधवार को कांग्रेस समेत 10 विपक्षी दलों ने पीएम को एक पत्र लिखा थापत्र में मणिपुर में हिंसा को रोकने में विफल रहने के लिए केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया है. विपक्ष ने बीजेपी पर बांटो और राज करो की राजनीति करने का आरोप लगाया है. विपक्षी दलों ने मणिपुर के मुख्यमंत्री को वर्तमान जातीय हिंसा जिम्मेदार बताया है. साथ ही कहा कि अगर राज्य के मुख्यमंत्री ने सही वक्त पर उचित कदम उठाया होता और तत्काल कार्रवाई की होती तो इस हिंसा को टाला जा सकता.
मणिपुर नियंत्रण से बाहर हो रही जातीय हिंसा और विपक्ष के लगातार बढ़ते दबाव के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित ने सभी दलों के साथ इस मुद्दे पर विमर्श करने का निर्णय लिया है. आशा जाताई जा रही है की कांग्रेस समेत तमाम दल इस मुद्दे पर केंद्र का सहयोग करेंगे, ताकि जल्द से जल्द मणिपुर में हालात सामान्य हो सकें.
आपको बाताएं कि , प्रभावी और राजनीतिक रूप से मजबूत मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करने पर विचार करने के लिए उच्च न्यायालय के एक विवादास्पद आदेश के विरोध में एक आदिवासी कुकी समूह द्वारा एक रैली ने मई में दो समुदायों के बीच हिंसा की लहर छेड़ दी. लगातार दो महीने से जारी हिंसा में अबतक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 40,000 विस्थापित बताए जा रहे हैं.
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