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बिहार में बिजली नुकसान का पता लगाने कराया जा रहा एनर्जी ऑडिट, वितरण के हर स्तर पर नुकसान का होगा आकलन

डिस्कॉम्स ने डिस्ट्रीब्यूशन यानि फीडर से ग्राहक स्तर तक होने वाले नुकसान की जांच को लेकर अलग मापदंड तैयार किया है. इसके लिए सर्किल वार श्रेणीवार उपभोक्ता, बिल व अन बिल्ड उपभोक्ता, मीटर्ड व अन मीटर्ड उपभोक्ता, ऊर्जा लागत और टैरिफ के हिसाब से होने वाले घाटे के आंकड़ों का विश्लेषण किया जायेगा

बिहार में उपभोक्ताओं को आपूर्ति की जाने वाली एक चौथाई से अधिक यानी 27 फीसदी बिजली नुकसान में चली जाती है. मतलब बिजली आपूर्ति कंपनियां डिस्कॉम्स से खरीदी गयी बिजली का 100 फीसदी भुगतान करती हैं, लेकिन उसके 73 फीसदी का ही राजस्व वसूला जाता है. शेष ट्रांसमिशन से लेकर ग्रिड, सब स्टेशन और डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर होते हुए ग्राहकों के घर तक पहुंचने में गायब हो जाती है. ऐसा ट्रांसमिशन लॉस, बिजली चोरी तथा बिलिंग व कलेक्शन नहीं हो पाने की वजह से होता है. इसको देखते हुए डिस्कॉम्स ने सही नुकसान का आकलन करने के लिए विशेषज्ञ निजी एजेंसी की सेवा लेने का निर्णय लिया है.

हर स्तर पर होने वाले नुकसान का होगा आकलन

डिस्कॉम्स ने निर्णय लिया है कि अब हर स्तर पर होने वाले नुकसान का वार्षिक आकलन किया जायेगा. इसके लिए भारत सरकार की एजेंसी ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशियंसी (बीइइ) के मानकों और एनर्जी ऑडिट रेगुलेशन 2021 के प्रारूप के अनुसार ऑडिट होगा. देखा जायेगा कि ट्रांसमिशन से कितनी बिजली निकली और 33केवी/11केवी फीडर तक कितनी पहुंची. 33 केवी से 11 केवी पावर सब स्टेशन के बीच ऊर्जा का कितना प्रवाह हुआ. जब बिजली 11 केवी फीडरों से निकली तो डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर और उपभोक्ता तक पहुंचने में उसका कितना नुकसान हुआ. इसको लेकर पहले से इकट्ठा किये गये डेटा का सत्यापन भी किया जायेगा.

डिस्ट्रीब्यूशन लॉस जांचने को अलग होगा मापदंड

डिस्कॉम्स ने डिस्ट्रीब्यूशन यानि फीडर से ग्राहक स्तर तक होने वाले नुकसान की जांच को लेकर अलग मापदंड तैयार किया है. इसके लिए सर्किल वार श्रेणीवार उपभोक्ता, बिल व अन बिल्ड उपभोक्ता, मीटर्ड व अन मीटर्ड उपभोक्ता, ऊर्जा लागत और टैरिफ के हिसाब से होने वाले घाटे के आंकड़ों का विश्लेषण किया जायेगा. खपत पैटर्न की निगरानी की जायेगी. ऑडिट करने वाली एजेंसी को नुकसान के कारणों के साथ उच्च घाटे वाले क्षेत्रों की पहचान करनी होगी, ताकि भविष्य में उसके आधार पर सुधारात्मक कार्रवाई की जा सके. इसके लिए सर्किल वार औसत बिलिंग दर और कलेक्शन दर के आंकड़ों को भी देखा जायेगा. काम मिलने के बाद एजेंसी को एक महीने के अंदर ऑडिट प्रक्रिया पूरी कर डिस्कॉम को रिपोर्ट देनी होगी.

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