बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग के पत्र का विरोध किया है. संघ ने कहा कि राज्य स्तरीय पदाधिकारियों के निर्देशानुसार राज्य के सभी जिलों में जिला शिक्षा पदाधिकारियों द्वारा प्रत्येक विद्यालयों के निरीक्षण के लिए पदाधिकारियों, कर्मियों को जोड़ा गया है, जिसमें जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के अतिरिक्त क्लर्क, कंप्यूटर डाटा एंट्री ऑपरेटर, बीआरपी, एमडीएम तक को विद्यालय निरीक्षण के लिए अधिकृत किया गया है, जो अत्यंत दुखद है.
बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के राज्य अध्यक्ष बृजनंदन शर्मा ने विभाग द्वारा जारी इस तुगलकी फरमान का विरोध करते हुए संघ की ओर से जारी विज्ञप्ति के माध्यम से कहा है कि विद्यालय निरीक्षण के लिए शिक्षा विभाग द्वारा पूर्व से ही प्रशिक्षित एवं सक्षम पदाधिकारियों द्वारा विद्यालय निरीक्षण की प्रक्रिया निर्धारित है. ऐसी स्थिति में शिक्षा विभाग द्वारा इस तरह का तुगलकी फरमान जारी करना शिक्षकों के मान सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला है, जिसे संघ कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगा.
शिक्षकों के बिना सहयोग के शिक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं किया जा सकता है. इसके लिए शिक्षकों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है. शिक्षा विभाग को पहले समय से शिक्षकों का वेतन, प्रोन्नति, शिक्षक शिक्षिकाओं का ऐच्छिक स्थानांतरण आदि सुविधाएं देना चाहिए. बच्चों को समय पर पाठ्यपुस्तक उपलब्ध कराना चाहिए, जो आज तक लाखों छात्र-छात्राओं को पाठ्यपुस्तक उपलब्ध नहीं कराया जा सका है. जीओवी मद से वेतन भुगतान प्राप्त करने वाले शिक्षकों का कई जिलों में अप्रैल से वेतन भुगतान नहीं किया गया है.
ये सारी सुविधाएं मुहैया कराने के बाद शिक्षकों के मनोबल को बढ़ाने के उपरांत ही शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन संभव हो सकेगा. इससे पहले कि इस आदेश के कारण बिहार के शिक्षक आंदोलित हो जाएं, विभाग इस तुगलकी फरमान को यथाशीघ्र वापस ले, नहीं तो बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ हर स्तर पर उपर्युक्त तुगलकी फरमान का विरोध करेगा.