कलकत्ता हाइकोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग (एसइसी) को पंचायत चुनावों में तैनाती के लिए 24 घंटे के भीतर 82,500 से अधिक केंद्रीय बलों के कर्मियों की मांग करने का बुधवार को निर्देश दिया. मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम व न्यायाधीश उदय कुमार की खंडपीठ ने कहा कि एसइसी ने राज्य में 2013 के पंचायत चुनावों के दौरान केंद्रीय बलों के 82,500 जवानों की मांग की थी. इसलिए इस बार 2013 से अधिक केंद्रीय बलों को तैनात करना होगा, क्योंकि उस बार की तुलना में जिलों की संख्या, मतदाताओं की संख्या व बूथों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है.
अदालत ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि 2013 में पश्चिम बंगाल में जिलों की संख्या 17 थी, जो बढ़कर वर्तमान में 22 हो गयी है, और इन 10 वर्षों में मतदाताओं की संख्या में भी वृद्धि हुई है. अदालत ने एसइसी को निर्देश दिया कि वह 24 घंटे में पर्याप्त संख्या में केंद्रीय बलों की मांग करे.
अदालत ने निर्देश दिया कि केंद्रीय बलों की जितनी कंपनियों की मांग की जानी है, उनकी संख्या 2013 के चुनावों से अधिक होनी चाहिए. अदालत ने कहा कि आदेश को अव्यवहार्य बनाने के किसी भी प्रयास के प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं. एसइसी के वकील ने दलील दी कि अदालत को जो भी पर्याप्त लगता है, उसकी मांग तुरंत केंद्र सरकार से की जायेगी.
पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि चुनाव आयोग स्वतंत्र रूप से कोई निर्णय क्यों नहीं ले रहा है. मूल्यांकन कार्य की जिम्मेदारी आयोग पर छोड़ दी गयी थी. पीठ ने कहा कि हमें सभी जिलों में केंद्रीय बल उपलब्ध कराने के लिए मजबूर होना पड़ा. अदालत ने कहा कि हमारी प्रारंभिक राय यह है कि पंचायत चुनाव के दौरान सुरक्षा के लिए 22 कंपनियां पर्याप्त नहीं हैं.
वर्ष 2013 में केंद्रीय बलों के लिए यह आयोग सुप्रीम कोर्ट तक गया था और वहां से निर्देश आने के बाद लगभग 825 कंपनियां तैनात की गयी. हमें समझ नहीं आता कि इस चुनाव में उस आयोग की स्वतंत्रता का क्या हुआ? न्यायाधीश ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग सक्रिय नहीं है. इसलिए आयोग कोर्ट के निर्देशों का पालन करने का उत्साह नहीं दिखा रहा.
मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि चुनाव आयुक्त अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हैं, तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए. राज्यपाल इसके बाद नये आयुक्त की नियुक्ति करेंगे. गौरतलब है कि बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान एसइसी ने अदालत को सूचित किया कि उसने आठ जुलाई के पंचायत चुनावों के लिए अब तक केंद्रीय बलों की छह कंपनियों की मांग की है.