16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

घटती लैंगिक असमानता

राजनीतिक सशक्तिकरण के मामले में भारत ने 25.3 फीसदी की समानता दर्ज की है. वर्ष 2006 में विश्व आर्थिक मंच की पहली रिपोर्ट आने के बाद से यह भारत का सबसे अच्छा प्रदर्शन है.

भारत में लैंगिक असमानता, यानी पुरुषों और महिलाओं के बीच की असमानता को दूर करना एक मुश्किल और पुरानी चुनौती रही है. मगर ऐसा लगता है कि इस दिशा में किये जा रहे प्रयास प्रभावी हो रहे हैं. विश्व आर्थिक मंच की ओर से जारी इस वर्ष के ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में भारत पिछले वर्ष के मुकाबले आठ स्थान ऊपर आया है. इस वर्ष 146 देशों में वह 127वें स्थान पर है. पिछले वर्ष वह 135वें स्थान पर था. ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में चार मापदंडों पर लैंगिक असमानता को मापा जाता है. ये हैं- आर्थिक सहभागिता और अवसर, शिक्षा तक पहुंच, स्वास्थ्य व बचाव, और राजनीतिक सशक्तिकरण. भारत ने लैंगिक असमानता को कुल मिलाकर 64.3 फीसदी कम कर लिया गया है. लेकिन, आर्थिक भागीदारी और अवसर के मामले में लैंगिक समानता के लिए भारत को अभी और प्रयास करने की जरूरत है.

रिपोर्ट कहती है कि भारत में वेतन और आय के मामले में समानता हालांकि बढ़ी है, लेकिन वरिष्ठ पदों और तकनीकी भूमिकाओं में महिलाओं की भागीदारी में गिरावट आयी है. राजनीतिक सशक्तिकरण के मामले में भारत ने 25.3 फीसदी की समानता दर्ज की है और यहां संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी 15.1 हो गयी है. वर्ष 2006 में विश्व आर्थिक मंच की पहली रिपोर्ट आने के बाद से यह भारत का सबसे अच्छा प्रदर्शन है. इस बार भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान 142वें, बांग्लादेश 59वें, चीन 107वेें, नेपाल 116वें, श्रीलंका 115वें और भूटान 103वें स्थान पर है. आइसलैंड लगातार 14वें वर्ष शीर्ष पर आया है.

वह दुनिया का एकमात्र देश है जिसने 90 प्रतिशत से ज्यादा लैंगिक असामानता दूर कर ली है. हालांकि, आबादी के हिसाब से भारत में चुनौती ज्यादा बड़ी है. भारत में लगभग 66 करोड़ महिलाएं हैं. समाज का पुरुषवादी वर्चस्व एक वास्तविकता है, जिसमें महिलाओं को आये दिन असमानता की दीवार से टकराना पड़ता है. दुनिया के विकसित देशों में भी कई क्षेत्रों में महिलाओं को बराबरी के हक के लिए आवाज उठानी पड़ रही है. अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत का प्रदर्शन और बेहतर हो, इसके लिए सबसे जरूरी है कि हर स्तर के नेतृत्व में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर ध्यान दिया जाए. इससे नौकरियों और संसाधनों तक महिलाओं की पहुंच बढ़ सकेगी. भारत की आधी आबादी को बराबरी का हक दिलाये बिना भारत की प्रगति भी अधूरी रहेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें