G-20 Summit Patna: भारतीय मजदूर संघ और एल-20 के अध्यक्ष हिरणम्य पंड्या ने कहा कि एल-20 शिखर सम्मेलन में सामाजिक सुरक्षा लाभों की पोर्टेबिलिटी पर जी-20 सदस्य देशों और अन्य आमंत्रित देशों के बीच एक बहुपक्षीय तंत्र विकसित करने का संकल्प लिया गया है. विदेशों में काम कर रहे श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा निधि की अंतरराष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी पर कई देशों के बीच द्विपक्षीय समझौता हो रहा हैं. भारत सरकार भी इससे गंभीरता से ले रही है. इसका सीधा फायदा बिहार-यूपी और देश के दूसरे राज्यों से विदेश काम करने लिए जाने वाले श्रमिकों को मिलेगा.
हिरणम्य पंड्या शुक्रवार को पटना में आयोजित दो दिवसीय जी-20 की लेबर-20 की शिखर सम्मेलन के समापन के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. इसमें जी-20 देशों में रोजगार के नये अवसर और चुनौतियों पर चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि तेजी से बदलते विश्व आर्थिक परिदृश्य में श्रम क्षेत्रों को अप्रत्याशित और महत्वपूर्ण बदलाव का सामना करना पड़ रहा है. इसके लिए ट्रेड यूनियनों को नये प्रकार के काम में लगे श्रमिकों के सामने आने वाले मुद्दों पर प्राथमिकता से विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार के अतिथि सत्कार और सांस्कृतिक कार्यक्रम देखकर अभिभूत हुए विदेशी मेहमानों ने राज्य सरकार की प्रशंसा की.
एल-20 के अध्यक्ष ने कहा कि शिखर सम्मेलन में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि किसी भी संकट की स्थिति में महिलाएं हमेशा प्रभावित होती हैं. निजी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी और उनकी नेतृत्वकारी भूमिकाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए. इसे ‘रिमोट वर्किंग’ की व्यवस्था और ‘फ्लेक्सीबल वर्क आवर्स’ जैसे विकल्पों को लागू करके प्राप्त किया जा सकता है, जिससे महिलाएं अपनी व्यक्तिगत और व्यावसायिक जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से संतुलित कर सकें. इसके अतिरिक्त नौकरियों में महिलाओं की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सब्सिडी वाली चाइल्डकेयर सुविधाएं देना आवश्यक हैं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा महिलाएं गिग और प्लेटफॉर्म वर्क जैसे उभरते क्षेत्रों के साथ-साथ देखभाल, पालतू जानवरों की देखभाल और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में अवसर तलाश सकती हैं.
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बीएमएस के अध्यक्ष ने कहा कि श्रमबल में आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस, प्रौद्योगिकी और डिजिटलीकरण के बढ़ते प्रभाव ने श्रमिकों को हाशिये पर धकेल दिया है. इससे निबटने के लिए दान के रूप में पेंशन जैसे विकल्पों के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा कवरेज भी बढ़ सकता है. कम वेतन की समस्या का निदान करना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सीधे सामाजिक सुरक्षा के लिए आवंटित योगदान और बजट संसाधनों की मात्रा को प्रभावित करता है.