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श्रवण साहू मर्डर केस: IPS अफसर मंजिल सैनी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू, CBI ने जांच में माना है लापरवाही का दोषी

आईपीएस अफसर मंजिल सैनी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. लखनऊ के श्रवण साहू हत्याकांड में उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है. इस प्रकरण में सीबीआई पहले ही उन्हें लापरवाही का दोषी मानते हुए अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है. प्रदेश सरकार ने 1 फरवरी 2017 को हुई इस बहुचर्चित हत्याकांड की सीबीआई को सौंपी गई थी.

Lucknow: राजधानी लखनऊ के बहुचर्चित श्रवण साहू हत्याकांड में तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मंजिल सैनी के खिलाफ शासन के निर्देश पर विभागीय जांच शुरू कर दी गई है. राज्यपाल की अनुमति से एडीजी इंटेलिजेंस भगवान स्वरूप और एसपी इंटेलिजेंस संजीव त्यागी को जांच अधिकारी नामित किया गया है.

मंजिल सैनी पर लखनऊ की एसएसपी रहते श्रवण साहू को सुरक्षा नहीं दिए जाने का आरोप है. इस मामले के सुर्खियों में आने के बाद जांच सीबीआई को सौंपी गई थी. सीबीआई ने अपनी जांच में मंजिल सैनी को दोषी पाया था और यूपी सरकार से उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही करने की सिफारिश की थी.

वर्ष 2005 की आईपीएस अफसर मंजिल सैनी वर्तमान में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में एनएसजी में तैनात हैं. वह 18 मई 2016 से 27 अप्रैल 2017 तक एसएसपी लखनऊ के पद पर तैनात थीं. इस दौरान एक फरवरी 2017 को कारोबारी श्रवण साहू की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. श्रवण साहू के बेटे आयुष की हत्या भी बदमाशों ने की थी. हत्यारोपियों को सजा दिलाने के लिए वह कोर्ट में मजबूती से पैरवी कर रहे थे.

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अहम बात है कि इस मामले में श्रवण साहू एकमात्र गवाह भी थे. इस वजह से आरोपी उन्हें पैरवी नहीं करने के लिए लगातार धमकियां दे रहे थे. उन्होंने पुलिस को भी इसकी जानकारी दी और उच्चाधिकारियों से सुरक्षा मांगी. काफी समय तक मामले में टालमटोल का रवैया अपनाया गया. बाद में पुलिस महानिदेशक मुख्यालय के हस्तक्षेप के बाद श्रवण साहू को सुरक्षा देने का आदेश किया गया. हालांकि इस आदेश को अमल में लाने से पहले की श्रवण साहू बदमाशों ने उनके घर में घुसकर हत्या कर दी.

वर्ष 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद इस प्रकरण की जांच सीबीआई को सौंप दी गई. सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रांच के एसपी एसके खरे के निर्देश पर डिप्टी एसपी विशंभर दीक्षित ने पूरे प्रकरण की जांच करने के बाद मंजिल सैनी और लखनऊ के तत्कालीन जिलाधिकारी गौरी शंकर प्रियदर्शी को लापरवाही का दोषी पाया था. इसके बाद सीबीआई ने राज्य सरकार से मंजिल सैनी के खिलाफ विभागीय जांच कराने की सिफारिश की थी.

जांच के दौरान सीबीआई के अधिकारियों ने गौरी शंकर प्रियदर्शी और मंजिल सैनी से पूछताछ भी की थी. मंजिल सैनी ने प्रकरण में अधीनस्थ अधिकारियों को दोषी बताया था. उन्होंने बयान दिया था कि पुलिस लाइन के तत्कालीन प्रतिसार निरीक्षक शिशुपाल सिंह को उन्होंने श्रवण साहू को सुरक्षा प्रदान कराने का मौखिक आदेश दिया था, जिसका प्रतिसार निरीक्षक ने पालन नहीं किया.

वहीं, प्रतिसार निरीक्षक ने अपने बयान में मंजिल सैनी द्वारा कोई आदेश नहीं देने की बात कही थी. इसके बाद सीबीआई ने श्रवण साहू हत्याकांड में चार्जशीट दाखिल की, जिसमें उनके बेटे के हत्यारोपित अकील समेत सात आरोपितों को दोषी ठहराया गया था. अब विभागीय जांच शुरू होने के बाद मंजिल सैनी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

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