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बिहार में सोना-चांदी खरीदने में ग्राहकों से हो रही ठगी! 40 हजार ज्वेलर्स, हॉलमार्क लाइसेंस केवल 4500 के पास

वर्ष 2000 तक हॉलमार्क लाइसेंस स्वैच्छिक था, लेकिन केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 जून से हॉलमार्क लाइसेंस को अनिवार्य किया गया. मकसद लोगों को शुद्ध गहने मिले. लेकिन भारतीय मानक ब्यूरो सूबे में हॉलमार्क लाइसेंस को पूरी तरह लागू कराने में विफल है.

सुबोध कुमार नंदन, पटना. बिहार में लगभग 40 हजार ज्वेलर्स है, लेकिन हॉलमार्क का लाइसेंस केवल 4500 ज्वेलर्स के पास ही है. इनमें 3928 लाइसेंस सोना और 572 चांदी के लिए ज्वेलर्स ने ही लाइसेंस लिया है. दो साल बाद भी सूबे में अब तक मात्र 11 फीसदी से अधिक ज्वेलर्स ने ही हॉलमार्क का लाइसेंस लिया है. इस तरह 88 फीसदी ज्वेलर्स बिना हॉलमार्क लाइसेंस के सोने-चांदी के आभूषण बेच रहे हैं. जबकि एक जून से सूबे के 13 जिले में और बाद के दो जिले को शामिल किया गया. इस तरह सूबे 15 जिले में हॉलमार्क को अनिवार्य किया गया है. लेकिन जिन जिले में हॉलमार्क अनिवार्य किया गया है. उन जिले में केवल 3302 ज्वेलर्स ने ही लाइसेंस लिया है. वहीं पटना जिले में अब तक केवल 12 फीसदी ज्वेलर्स के पास ही हॉलमार्क लाइसेंस है.

जून 2021 से हुआ अनिवार्य

वर्ष 2000 तक हॉलमार्क लाइसेंस स्वैच्छिक था, लेकिन केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 जून से हॉलमार्क लाइसेंस को अनिवार्य किया गया. मकसद लोगों को शुद्ध गहने मिले. लेकिन भारतीय मानक ब्यूरो सूबे में हॉलमार्क लाइसेंस को पूरी तरह लागू कराने में विफल है. इसके कारण बड़ी संख्या में अब भी उपभोक्ता ठगे जा रहे हैं.

हॉलमार्किंग सेंटर

पटना (12), मोतिहारी (1), मुजफ्फरपुर (2), बिहारशरीफ( 1), सारण (1), रोहतास (3), नवादा (1), समस्तीपुर( 1) , मुंगेर (2), भागलपुर( 2), दरभंगा (2), भोजपुर (2), गया (2), बेगूसराय (1), बक्सर (2 ),सीतामढ़ी (1 ) और मधुबनी (1 ) हॉलमार्किंग सेंटर है.

एक गहने पर 41.30 रुपये का खर्च

एक गहने पर हॉलमार्क लगवाने पर ज्वेलर्स को जीएसटी सहित 41 रुपये 30 पैसे का खर्च आता है. आभूषण एक ग्राम का हो या एक किलो का हॉलमार्क शुल्क इतना ही लगता है.

होगी कार्रवाई

हॉलमार्क लाइसेंस शुल्क को शून्य कर देने के बावजूद बिहार के ज्वेलर्स हॉलमार्क लाइसेंस नहीं ले रहे हैं. हालांकि भारतीय मानक ब्यूरो पिछले तीन सालों से जागरूकता कार्यक्रम जिले -जिले में चलाया जा रहा है. ब्यूरो की ओर से सूची बना रही है. उसके बाद ज्वेलर्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी. साथ ही फाइन वसूल किया जायेगा. -सुमन कुमार गुप्ता, निदेशक, भारतीय मानक ब्यूरो, क्षेत्रीय कार्यालय पटना

जिन जिले में हाॅलमार्क अनिवार्य है, वहां के हर ज्वेलर्स को हॉलमार्क लाइसेंस लेना चाहिए. इसके लिए संघ की ओर से समय- समय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. जिन ज्वेलर्सों अब तक हॉलमार्क का लाइसेंस नहीं लिया है. उन्हें अवश्य लाइसेंस लेना चाहिए. एचयूआइडी लागू होने के बाद तो और जरूरी हो गया है. लाइसेंस लेने से दुकान के प्रति विश्वास बढ़ेगा और ब्रांड के बराबर हो जायेंगे. -विनोद कुमार, अध्यक्ष, पाटलिपुत्र सर्राफा संघ

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हॉलमार्क अनिवार्य जिले में लाइसेंसी दुकानें

  • जिला – सोना- चांदी

  • बक्सर – 36 – 10

  • भागलपुर -145 – 18

  • भोजपुर – 93- 11

  • दरभंगा – 221- 46

  • गया – 123- 20

  • मुजफ्फरपुर – 261- 31

  • नालंदा – 109- 12

  • पटना – 828- 170

  • रोहतास – 195-10

  • समस्तीपुर- 174- 17

  • सारण- 166- 18

  • बेगूसराय- 161- 10

  • नवादा – 133- 11

  • सीतामढ़ी – 111- 9

  • मुंगेर- 146-7

  • भारतीय मानक ब्यूरो से मिली जानकारी के अनुसार

अन्य जिले जहां हॉलमार्क अनिवार्य होना बाकी

  • जिला – सोना- चांदी

  • अररिया- 30- 7

  • अरवल 5-1

  • औरंगाबाद- 118-7

  • बांका- 22-3

  • पूर्व चंपारण- 76-12

  • गोपालगंज- 49-11

  • जमुई – 12- 3

  • जहानाबाद – 12-3

  • कैमूर – 15-1

  • कटिहार- 64 – 9

  • खगड़िया- 37-5

  • किशनगंज- 16-1

  • लखीसराय- 40-4

  • मधेपुरा- 58-2

  • मधुबनी – 80-14

  • पूर्णिया- 62-6

  • सहरसा- 64-40

  • शेखपुरा- 32- 5

  • शिवहर – 4- 1

  • सीवान – 74- 17

  • सुपौल- 20-03

  • वैशाली- 104- 12

  • पश्चिमी चंपारण – 32-5

  • (यह आंकड़ा 9 जून 2023 तक का है.)

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