बिहार के करीब चार करोड़ 77 लाख गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज का रास्ता साफ हो रहा है. सालाना पांच लाख तक प्रति परिवार मुफ्त कैशलेस सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बिहार स्वास्थ्य सुरक्षा समिति की ओर से भोजपुर जिले में इ-केवाइसी सत्यापित करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया है. इस प्रोजेक्ट की सफलता को देखते हुए राज्य के अन्य सभी जिलों में जल्द इसे लागू किया जायेगा. समिति का प्रयास है कि दिसंबर तक दो करोड़ से अधिक लाभुकों का इ-केवाइसी सत्यापित कर उनको आयुष्मान भारत कार्ड उपलब्ध करा दिया जाये. लाभुकों की पहचान और उनके इ-केवाइसी के सत्यापन में जीविका समूह की मदद ली जा रही है. इ-केवाइसी के सत्यापन नहीं होने के कारण अभी तक लाभार्थी इस सुविधा वंचित हैं.
बिहार स्वास्थ्य सुरक्षा समिति के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार भोजपुर जिले में लाभार्थियों को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ने के लिए जीविका के फ्रंट लाइन वर्कर से आंकड़ों के इ-केवाइसी का सत्यापन कराया जा रहा है. गांव-गांव में फैली जीविका समूह के सदस्यों द्वारा भारत सरकार द्वारा दिये गये आंकड़ों को आधार के साथ मैच कराकर इ-केवाइसी का सत्यापित किया गया. साथ ही सत्यापित इ-केवाइसी के लाभुकों का अब पीवीसी कार्ड तैयार होगा. इ-केवाइसी सत्यापित करने के लिए भारत सरकार द्वारा जीविका के फ्रंटलाइन वर्कर को पांच रुपये प्रति इ-केवाइसी और प्रति पीवीसी कार्ड लाभुक तक वितरित करने पर तीन रुपये प्रति कार्ड उपलब्ध कराया जायेगा.
भोजपुर जिले में इ-केवाइसी के लिए पहली जून से 25 जून तक कुल 71 हजार 779 लाभुकों के आवेदन पत्र मिले. इसमें जीविका द्वारा 40129 लाभार्थियों का इकेवाइसी एप्रुव्ड कर दिया गया. आधार से डाटा मैच नहीं करने के कारण 20322 लाभार्थियों का आवेदन रिजेक्ट कर दिया गया. शेष करीब 11 हजार आवेदन पेंडिंग हैं जिसकी प्रॉसेसिंग की जा रही है. आधिकारिक सूत्रों का कहना है जिन लाभुका का आवेदन रिजेक्ट हुआ है वह फिर से अपने आधार कार्ड में सही संशोधन करके आवेदन करते हैं तो उस पर विचार किया जायेगा. अब इस पॉयलट प्रोजेक्ट को राज्य के सभी जिलों में चलाया जायेगा.