पटना. बिहार में अब दूसरे राज्यों के अभ्यर्थी भी शिक्षक बन सकेंगे. मंगलवार को राज्य कैबिनेट से इस प्रस्ताव पर मुहर लग गयी है. बिहार सरकार के इस निर्णय का विरोध भी शुरू हो गया है. बिहार के शिक्षक संघ और अभ्यर्थी लगातार इसका विरोध कर रहे हैं. आंदोलन की चेतावनी भी दे दी गई है. इन सबके बीच बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने इसके पीछे की वजह भी बता दी है. उन्होंने बताया कि सरकार ने आखिर ऐसा क्यों किया गया है.
शिक्षा मंत्री ने मंगलवार को कहा कि देश के विभिन्न राज्यों में जो टैलेंटेड छात्र हैं. बेरोजगार हैं, वो अब बिहार में शिक्षक बन सकेंगे. ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि नियोजन के समय हम लोगों ने पाया कि मैथ, केमिस्ट्री, फिजिक्स और अंग्रेजी जैसे कुछ विषय हैं, जिनमें बेहतर अभ्यर्थी नहीं मिल पाते हैं और सीट खाली रह जाती है. बेहतर अभ्यर्थी मिले और सीटें खाली न रह जाये, इसके लिए ऐसा किया गया है. देश के प्रतिभावान अभ्यर्थी जब आयेंगे तो बेहतर शिक्षण कार्य हो सकेगा. साइंस और अंग्रेजी में ऐसी समस्या बहुत ज्यादा है, इसलिए ऐसा करना जरूरी हो गया था. पत्रकारों के इस सवाल पर कि इस निर्णय का विरोध शुरू हो गया है, शिक्षा मंत्री ने कहा कि हर बातों का विरोध होता है. हम क्या कह सकते हैं इस पर.
दरअसल मंगलवार को कैबिनेट में 25 एजेंडों पर मुहर लगी. इसमें नई शिक्षक बहाली नियमावली में भी संशोधन किया गया. इससे यह साफ हो गया कि अब दूसरे राज्यों के अभ्यर्थी भी बिहार में होने वाली शिक्षक बहाली में भाग ले सकेंगे. यह निर्णय आते ही अब विरोध हो रहा है. छात्र संघ के नेताओं ने बताया कि यह निर्णय बिहार सरकार का बहुत गलत है. बिहार के अभ्यर्थियों के लिए हकमारी का काम किया गया है. इस मामले पर अब राजनीति भी शुरू हो गई है. भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनना है, इसलिए इनको राष्ट्रीय परिदृश्य दिखाई दे रहा है. इनको बिहार के युवाओं को चिंता नहीं है.