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मॉनसून की बेरुखी से बिहार में खेती पर गहराया संकट, 30 से 35 फीसदी खेतों में ही पड़े धान के बिचड़े

बिहार की मध्यम जमीन पर बिचड़ा डालने का आदर्श समय समाप्त हो गया है. मध्यम जमीन पर 10 से 25 जून तक बिचड़ा डालने का आदर्श समय था. वहीं, निचली जमीन में बिचड़ा डालने के आदर्श समय में दो दिन बीत गये हैं.

बिहार में मौसम की बेरूखी जारी है. इससे राज्य में धान की खेती पर अब संकट गहरा गया है. अच्छी या औसत बारिश होने पर 25 जून तक बिहार में लगभग 50 से 60 प्रतिशत खेतों में धान के बिचड़े पड़ जाते थे. किसानों तक 70 से 80 फीसदी बीज भी उपलब्ध हो जाता था. मगर, इस वर्ष अब तक लगभग 30 से 35 फीसदी ही धान के बिचड़े खेतों में डाले जा सके हैं. वहीं, 17 जून तक लगभग 17 प्रतिशत बीज ही उपलब्ध कराया जा सका था.

17 जून तक 22.7 फीसदी पड़े धान के बिचड़े

किसान सलाहकारों व समन्वयकों की हड़ताल का भी धान की खेती पर असर माना जा रहा है. बीज वितरण समेत अन्य कार्य इनके ही जिम्मे है. इनके हड़ताल पर चले जाने के कारण बीजों का प्रबंधन प्रभावित हुआ. उल्लेखनीय है कि राज्य में 17 जून तक 22.7 फीसदी ही धान के बिचड़े पड़े थे. हालांकि, कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मॉनसून का बिहार में प्रवेश हो गया है. इसमें क्षतिपूर्ति की संभावना है.

मध्यम जमीन पर बिचड़ा डालने का समय समाप्त

बिहार की मध्यम जमीन पर बिचड़ा डालने का आदर्श समय समाप्त हो गया है. मध्यम जमीन पर 10 से 25 जून तक बिचड़ा डालने का आदर्श समय था. वहीं, निचली जमीन में बिचड़ा डालने के आदर्श समय में दो दिन बीत गये हैं. अब तीन दिन ही निचली जमीन में बीज डालने का समय बचा है. कुल मिलाकर ऊपरी जमीन में ही अब धान की खेती के आसार हैं. ऊपरी जमीन में 25 जून से 10 जुलाई तक बीज डालने का आदर्श समय निर्धारित है. 17 जूून तक पूरे राज्य में 22.7 फीसदी ही धान के बिचड़े डाले जा सके थे.

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