फ़िल्म – इंडियाना जोन्स एंड द डायल ऑफ डेस्टिनी
निर्माता -कैथलीन कैनेडी , फ्रैंक मार्शल और साइमन एमानुएल
निर्देशक- जेम्स मैंगोल्ड
कलाकार- हैरिसन फोर्ड , फोबे वालर ब्रिज , एंटोनियो बैन्डरस,जॉन राइस डेविस , टोबी जोन्स , बॉयड होलब्रुक , एथन इसिडोर, मैड्स मिकेलसेन और अन्य
प्लेटफार्म – सिनेमाघर
रेटिंग – तीन
Indiana Jones The Dial Of Destiny Movie Review: इंडियाना जोंन्स हॉलीवुड के एडवेंचर जॉनर की बेहद लोकप्रिय फ्रेंचाईजी रही है.1 5 साल के लम्बे अंतराल के बाद इस फिल्म की पांचवी किस्त इंडियाना जोन्स एंड द डायल ऑफ डेस्टिनी रिलीज हुई है. 42 साल पुरानी इस फ्रेंचाइजी फिल्म की यह आखिरी किस्त है, जिसमें हैरीसन फोर्ड ने आखिरी बार पर्दे पर अपने आइकॉनिक किरदार इंडियाना जोन्स को निभाया है. लेखन की खामियों के बावजूद यह फ्रेंचाइजी फिल्म हैरीसन फोर्ड के अभिनय, जबरदस्त एक्शन से एक बार फिर से रोमांच से भरपूर जर्नी साबित हुई है.
डायल ऑफ डेस्टिनी फिल्म का शुरूआती बैकiग्राउंड साल 1944 का द्वितीय विश्व युद्ध का है. इंडी (हैरिसन फोर्ड) और उसके सहयोगी बेसिल शॉ (टोबी जोन्स) नाज़ियों को यूरोप की प्राचीन और बहुमूल्य कलाकृतियों को देश से बाहर ले जाने से रोकते हैं और इसी दौरान उन्हें आर्किमिडीज़ डायल नामक एक बहुमूल्य कलाकृति मिल जाती है और कहानी 25 साल आगे बढ़ते हुए 1969 में पहुंच जाती है. इंसान चांद पर जा पहुंचा है और इंडी की उम्र 70 साल. उसकी निजी जिंदगी उथल पुथल हो गयी है. बेटे की मौत हो गयी है और पत्नी उसे तलाक ले रही है.वह प्रोफेसर की नौकरी से भी सेवानिवृत्त होने वाला है. मौजूदा पीढ़ी को स्पेस में दिलचस्पी है, अपने इतिहास में नहीं कुलमिलाकर इंडी मौजूदा दौर से सामनजस्य नहीं बिठा पा रहा है, लेकिन कहानी तब नया मोड़ ले लेती है, जब बेसिल की बेटी हेलेना शॉ (फोबे वालर ब्रिज) डायल की तलाश में इंडी से मिलती है. वह इंडी से वह डायल धोखे से ले भी लेती है. आर्किमिडीज़ की डायल के पीछे एक और इंसान (मैडस) भी हैं,जिससे 25 साल पहले इंडी ने उस अमूल्य धरोहर को बचाया था. जैसा कि कई इंडियाना जोन्स की फिल्मों में होता है, आर्किमिडीज़ डायल का ऐतिहासिक महत्व के अलावा और भी बहुत कुछ है.यह असल में टाइम ट्रेवल मशीन भी है. जिसकी मदद से वह इंसान नाजियों का इतिहास बदलना चाहता है ताकि दुनिया पर नाजियों के हुकूमत का सपना साकार हो सके. क्या इंडी 70 की इस उम्र में इसे रोक पाएगा. क्या वह खतरों का सामना कर पाएगा. यह फिल्म आगे इन्हीं सवालों का जवाब देती है.
इस फ्रेंचाइजी की चारों फिल्मों से महान फिल्मकार स्टिफन स्पिलबर्ग का नाम जुड़ा था, लेकिन इस बार निर्देशन की जिम्मेदारी जेम्स मैगोल्ड ने ली है. उन्होंने इंडियाना जोन्स की फिल्मों के परिचित फ्लवेर को इस फिल्म में भी बरकरार रखा है.अब तक की चारों फ्रेंचाइजी फिल्मों की तरह यह फिल्म भी इतिहास, पौराणिक कथाओं और प्राचीन कलाकृतियों का एक अच्छा मिश्रण है. फिल्म 1945 और 1969 में सेट की गयी है बहुत ही खूबसूरती और डिटेलिंग के साथ उस दौर को परदे पर जीवित किया गया है. इसके लिए मेकर्स की तारीफ करनी होगी. फिल्म के शुरूआती दृश्य में वीएफएक्स के जरिये हैरीसन फोर्ड को जिस तरह से युवा दिखाया गया है. उसके लिए वीएफएक्स टीम बधाई की पात्र है.एक्शन सीक्वेन्स रोमांचक हैं और अच्छे से शूट किए गए हैं.सबसे खास मोरक्को का चेसिंग दृश्य है. जॉन विलिएम्स ने एक बार फिर इस फ्रेंचाइजी फिल्म के गीत -संगीत की जिम्मेदारी ली है. जिसमें नॉस्टालेजिया वाली फीलिंग्स के साथ-साथ मॉडर्न टच भी है.
खामियों की बात करें तो फिल्म का लेखन कमजोर रह गया है. कहानी एक वक़्त के बाद जरूरत से ज़्यादा खिचती हुई जान पडती है. उसमे रोमांच की कमी लगती है. किरदार अधूरे से लगते हैं, खलनायक मैडस मिकालसन के किरदार पर थोड़ा और काम करने की जरूरत थी.25 साल पहले ट्रैन से गिरने के बाद वह कैसे बच गया. इसका जिक्र तक फिल्म में नहीं है. इंडियाना जोन्स सीरीज की अब तक की सबसे लम्बी फिल्म भी है. फिल्म को 15 से 20 मिनट तक कम किया जा सकता था.
हैरीसन फोर्ड को इंडी की भूमिका को दोहराते हुए देखना शानदार है. 80 की उम्र में भी वह इस एडवेंचर वाली कहानी में अपने अभिनय से अपनी छाप छोड़ते हैं. मेकर्स ने हैरीसन फोर्ड के अलावा इस फ्रेंचाइजी फिल्म के कई पुराने चेहरों को भी शामिल किया है, हालांकि उनके दृश्य कम है, लेकिन परदे पर उन्हें देखना बहुत ही खास है. मैडस मीकाल्सन ने खलनायक के तौर पर अपनी छाप छोड़ी है.फोबे वालर ब्रिज ने अपने किरदार को पूरे आत्मविश्वास के साथ निभाया है. बाकी के कलाकार भी अपनी भूमिका में जमे हैं.