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बिहार के लिए वरदान साबित होगी गंडक-गंगा नदी जोड़ योजना, तीन जिलों के लोगों को होगा फायदा

बिहार में बाढ़ से बचाव, पर्यावरण संतुलन व भूजल स्तर में सुधार के लिए नदी जोड़ योजना तैयार की गई है. जिसके तहत गंगा और गंडक नदी को जोड़ने के लिए गोपालगंज जिले के हीरापाकड़ के पास गंडक नदी से शुरू कर सारण जिले के हासिलपुर के पास गंगा नदी तक कुल 170 किमी लंबे लिंक चैनल का निर्माण होगा

बिहार सरकार में सूचना एवं जनसंपर्क सह जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने गुरुवार को कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर शुरू होने वाली गंडक-गंगा नदी जोड़ योजना गोपालगंज, सीवान और सारण जिले के लिए वरदान साबित होगी. इस योजना में गोपालगंज जिले के हीरापाकड़ के पास गंडक नदी से शुरू कर सारण जिले के हासिलपुर के पास गंगा नदी तक कुल 170 किमी लंबे लिंक चैनल का निर्माण होगा.

स्थानीय लोगों से लिया फीडबैक

इसे लेकर मंत्री संजय कुमार झा ने गोपालगंज के हीरापाकड़ जाकर लिंक चैनल के उद्गम स्थल का निरीक्षण किया. साथ ही स्थानीय लोगों से फीडबैक लेकर अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिये. इस नदी जोड़ योजना से गोपालगंज जिले के गोपालगंज, मांझा, बरौली, सीवान जिले के बड़हरिया, गोरियाकोठी, महराजगंज, दरौंदा और सारण जिले के दिघवारा, सोनपुर, खैरा, नगरा, बनियापुर, मढ़ौरा आदि प्रखंडों के निवासी लाभान्वित होंगे. यह क्षेत्र में भूजल स्तर में सुधार और पर्यावरण संतुलन के लिहाज से भी एक महत्वपूर्ण योजना साबित होगी.

नेपाल में बारिश पर जताई चिंता

मंत्री ने कहा कि सरकार को बिहार से ज्यादा चिंता नेपाल में हो रही बारिश से है क्योंकि नेपाल में हाइ डैम नहीं बना है. जब तक हाइ डैम नहीं बन जाता, बिहार की नदियों में पानी को कंट्रोल नहीं किया जा सकता. जल संसाधन मंत्री ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि नेपाल में डैम बनाने का काम कई साल पहले शुरू होने वाला था, लेकिन अभी तक डीपीआर तक नहीं बनी है, इसके लिए भारत सरकार को बात करनी है. उन्होंने कहा कि नेपाल के प्रधानमंत्री भी भारत से होकर गये, लेकिन भारत सरकार ने इस मुद्दे पर कुछ बात की या नहीं, उन्हें मालूम नहीं हुई. जल संसाधन मंत्री की मानें, तो नेपाल में यदि हाई डैम बन जाता है, तो बिहार में कोसी, कमला, बागमती, गंडक नदी से मेजर एरिया बाढ़मुक्त हो जायेगा.

वाल्मीकिनगर बराज से निकलने वाली नहरों की बढ़ेगी संख्या

पश्चिम चंपारण में गंडक नदी के वाल्मीकिनगर बराज से निकलने वाली नहरों की संख्या बढ़ा कर सिंचाई क्षमता बढ़ाई जायेगी. जल संसाधन विभाग इसका आकलन कर योजना तैयार करेगा. इसका मकसद गंडक नदी के पानी का अधिकतम उपयोग सिंचाई में किया जाना है. साथ ही इससे गंडक नदी में हर साल आने वाली बाढ़ से भी सुरक्षा हो सकेगी. इस संबंध में जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने अधिकारियों और अभियंताओं को आकलन का निर्देश दिया है. फिलहाल इस बराज से निकलने वाली नहरों से बिहार के सात जिलों में करीब 11.50 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता है.

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वाल्मीकिनगर बराज की अधिकतम डिस्चार्ज क्षमता 8.50 लाख क्यूसेक

वाल्मीकिनगर बराज की अधिकतम डिस्चार्ज क्षमता करीब 8.50 लाख क्यूसेक की है. इस बराज से 31 जुलाई, 2003 को अब तक अधिकतम डिस्चार्ज करीब छह लाख 19 हजार 750 क्यूसेक हुआ था. इस बराज का निर्माण 1967-68 में किया गया था. इसकी लंबाई करीब 739 मीटर है. इसका आधा हिस्सा नेपाल में है. इसमें 52 गेट, 18 रियल वे, 12 अंडर स्लूइस, 8 रिवर स्लूइस, 18 हेड रेगुलेटर गेट हैं.

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