Hul Kranti Diwas 2023: आज ही के दिन यानी 30 जून 1855 को साहिबगंज भोगनाडीह में 10000 लोगों की सभा में सिद्धो को राजा घोषित किया गया. कान्हू को मंत्री चांद को प्रशासक और भैरव को सेनापति चुना गया. अंग्रेज इतिहासकार हंटर ने लिखा इस महान क्रांति में 20000 लोगों को मौत के घाट उतारा गया.
देश भर में 30 जून को हूल क्रांति दिवस (Hul Kranti Diwas 2023) मनाया जाता है और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले आदिवासियों की शौर्य गाथा और बलिदान को याद किया जाता है. संथाली भाषा में हूल का अर्थ क्रांति होता है. आदिवासी इस दिन को अपने संघर्ष और अंग्रेजों के द्वारा मारे गए अपने 20000 लोगों की याद में मनाते हैं. जैसा कि शब्दों से स्पष्ट हो रहा है, यह विद्रोह आदिवासियों की संघर्ष गाथा और उनके बलिदान को आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले नायकों को याद करने का खास दिन है.
हूल का संथाली अर्थ है विद्रोह. 1855 में आज ही दिन भोगनाडीह गांव के सिद्धू-कान्हू की अगुवाई में झारखंड के आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया और 400 गांवों के 50,000 से अधिक लोगों ने पहुंचकर जंग का ऐलान कर दिया और हमारी माटी छोड़ो का ऐलान कर दिया. आदिवासियों ने परंपरागत शस्त्र की मदद से इस विद्रोह में हिस्सा लिया. इस विद्रोह के बाद अंग्रेजी सेना बुरी तरह से घबरा गई और आदिवासियों को रोकना शुरू कर दिया.
अगर विद्रोह का कारण जानने का प्रयास करें तो हम जान पाएंगे कि महाजनों का देश में दबदबा था और वे महाजन अंग्रेजों के बेहद करीब थे. संथालों की लड़ाई महाजनों के खिलाफ थी लेकिन अंग्रेजों के करीब होने के कारण संथालों ने दोनों के खिलाफ विद्रोह कर दिया था.
अंग्रेजों ने विद्रोह को रोकने के लिए 1856 में तो रात मार्टिलो टावर का निर्माण कराया और उसमें छोटे-छोटे छेद बनाए गए ताकि छिपकर संथालियों को बंदूक से निशाना बनाया जा सके. लेकिन एक इमारत भला आदिवासियों के पराक्रम के आगे कहां टिकने वाली थी. संथालियों के पराक्रम और साहस के आगे अंग्रेजों को झुकना पड़ा और उल्टे पांव भागने पर मजबूर होना पड़ा.
भले हम 1857 के सिपाही विद्रोह को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला विद्रोह मानते हैं, लेकिन संथाल के आदिवासियों का हूल विद्रोह भी बेहद प्रभावशाली रहा था. तब संथाल विद्रोह मुट्ठी भर आदिवासियों ने शुरू किया जो बाद में जन आंदोलन बन गया. संथालियों ने अपने परंपरागत हथियारों के दम पर ही ब्रिटिश सेना को पस्त कर दिया था. 1855 के संथाल विद्रोह में 50000 से अधिक लोगों ने अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो का आह्वान किया था.