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कोरोना संकट में झारखंड ने खोये 61 डॉक्टर, रांची के पांच डॉक्टरों की हुई थी मौत

कोरोना काल में कई युवा चिकित्सकों की भी मौत हुई थी, जिसमें रिम्स से एक जूनियर डॉक्टर भी शामिल रहे थे, वहीं रेडियोलॉजिस्ट डॉ विनोद कुमार की मौत भी कोरोना के कारण हुई थी. आइएमए के स्टेट सेक्रेटरी डॉ प्रदीप सिंह ने बताया कि कोरोना काल में हमने 61 डॉक्टरों को खो दिया.

रांची: कोरोना संकट (2020-22) के दौर में चिकित्सकों ने जहां रात-दिन सेवा कर मरीजों की सेवा की, वहीं इस दौरान संक्रमित होने पर कई ने अपनी जान भी गंवा दी. कोरोना के कारण झारखंड ने 61 डॉक्टरों को खो दिया, जिसमें रांची के पांच डॉक्टर शामिल हैं. ये सभी डॉक्टर मरीजों की सेवा करते हुए कोरोना से संक्रमित हुए थे. इनकी मौत इलाज के दौरान हो गयी थी. आइएमए ने इन सभी डॉक्टरों की सूची राज्य सरकार और नेशनल आइएमए को दी थी, जिससे उनको समय पर मुआवजा मिल सके.

सहायता राशि का मामला अब तक है फंसा

कोरोना काल में कई युवा चिकित्सकों की भी मौत हुई थी, जिसमें रिम्स से एक जूनियर डॉक्टर भी शामिल रहे थे, वहीं रेडियोलॉजिस्ट डॉ विनोद कुमार की मौत भी कोरोना के कारण हुई थी. आइएमए के स्टेट सेक्रेटरी डॉ प्रदीप सिंह ने बताया कि कोरोना काल में हमने 61 डॉक्टरों को खो दिया. वहीं रांची के पांच डॉक्टरों में दो वरिष्ठ डॉक्टर भी शामिल हैं. आइएमए की ओर से डॉक्टरों को कुछ सहयोग राशि दी गयी है, लेकिन सरकारी स्तर पर कोई सहायता नहीं मिली है. कई बार डॉक्टरों की सहायता के लिए सरकार से सहायता राशि की मांग की गयी, लेकिन अभी तक मामला फंसा हुआ है.

रिम्स के 200 से ज्यादा डॉक्टर हुए थे संक्रमित

कोरोना काल में रिम्स के करीब 200 से ज्यादा डॉक्टर संक्रमित हुए थे, जिनमें 160 से ज्यादा जूनियर डॉक्टर ही थे. जूनियर डॉक्टर फ्रंट लाइन में रहकर संक्रमितों का लगातार इलाज कर रहे थे, इसलिए वह सबसे ज्यादा संक्रमित हुए. कई डॉक्टरों के परिवार भी संक्रमित हुए. एक साथ पूरे परिवार को 20 से 21 दिन तक आइसोलेशन में रहना पड़ा. कई को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था.

कोरोना से स्वस्थ होकर दोबारा सेवा में जुट जाते थे डॉक्टर

कोरोना काल में करीब 21 दिनों के आइसोलेशन में रहने के बाद डॉक्टर दोबारा आकर मरीजों की सेवा में लगे रहे. डॉक्टरों ने लगातार समर्पण भाव से संक्रमितों का इलाज किया. मरीज डॉक्टरों का हौसला देखकर आश्चर्यचकित में थे. क्योंकि उनको पता था कि कुछ डॉक्टर बीमार होकर दोबारा इलाज करने आये हैं. इस दौरान दर्जनों डॉक्टर दोबारा संक्रमित हुए, लेकिन हौसला नहीं खोया. दोबारा संक्रमित होने के बाद स्वस्थ होकर संक्रमितों का इलाज किया.

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