26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

‘सात दिनों तक सरेंडर नहीं करेंगी तीस्ता सीतलवाड़’, सुप्रीम कोर्ट से मिला अंतरिम संरक्षण

सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड को अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है. 2002 के गुजरात दंगों के संबंध में कथित रूप से साक्ष्य गढ़ने के मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने शनिवार को तीस्ता सीतलवाड़ की नियमित जमानत खारिज कर दी थी.

नई दिल्ली : सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात हाईकोर्ट से नियमित जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद तुरंत सरेंडर करने के मामले में आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई. शनिवार की रात करीब सवा नौ बजे बैठी कोर्ट ने सुनवाई के बाद तीस्ता सीतलवाड़ को सरेंडर करने के मामले में एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर सात दिनों के लिए रोक लगाकर अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है. गुजरात हाईकोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को तुरंत आत्मसमर्पण करने का आदेश जारी किया था.

गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम संरक्षण

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड को अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है. 2002 के गुजरात दंगों के संबंध में कथित रूप से साक्ष्य गढ़ने के मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने शनिवार को तीस्ता सीतलवाड़ की नियमित जमानत खारिज कर दी थी. हाईकोर्ट ने उन्हें तुरंत सरेंडर करने का आदेश जारी किया था. अपने फैसले में गुजरात हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी कि प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि तीस्ता सीतलवाड़ ने अपने करीबी सहयोगियों और दंगा पीड़ितों का इस्तेमाल ‘सुप्रीम कोर्ट में तत्कालीन सरकार को अपदस्थ करने और संस्थान एवं उस समय के मुख्यमंत्री (मोदी) की छवि धूमिल करने के मकसद से झूठा और मनगढ़ंत हलफनामा दाखिल करने में किया.’

तीस्ता सीतलवाड़ ने झूठे हलफनामे दायर किए : तुषार मेहता

सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अपनी दलील में कहा कि एसआईटी (2002 गोधरा दंगा मामले पर) सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई थी, जिसने समय-समय पर रिपोर्ट दाखिल की. गवाहों ने एसआईटी को बताया कि तीस्ता सीतलवाड़ ने उन्हें बयान दिया था और उनका फोकस एक विशेष पहलू पर था, जो गलत पाया गया. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ ने झूठे हलफनामे दायर किए.

जमानत को चुनौती के लिए समय क्यों नहीं दिया : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि किसी व्यक्ति को जमानत को चुनौती देने के लिए सात दिन का समय क्यों नहीं दिया जाना चाहिए, जबकि वह इतने लंबे समय से बाहर है. इसके जवाब में तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले को जिस सहज तरीके से प्रस्तुत किया गया है, ये उससे कहीं ज्यादा संगीन है.

तीस्ता ने जमानती शर्त का उल्लंघन नहीं किया : वकील

तीस्ता सीतलवाड की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सीयू सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्हें पिछले साल 22 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी और उन्होंने जमानत की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया है.

Also Read: तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात HC से नहीं मिली नियमित जमानत, तत्काल सरेंडर करने का आदेश

तीन जजों की पीठ ने की सुनवाई

एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, 2002 के गुजरात दंगों के संबंध में साक्ष्यों को कथित रूप से गढ़ने के एक मामले में गुजरात हाईकोर्ट की ओर से नियमित जमानत याचिका खारिज करने के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई शुरू की.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें