रांची. विश्व कप का मैच जेएससीए स्टेडियम रांची को नहीं मिलने से क्रिकेट से जुड़े लोगों ने अपनी बात रखी. कुछ का कहना है कि अगर अमिताभ चौधरी रहते तो मैच मिल सकता था. लेकिन कुछ का कहना है कि रोटेशन के अनुसार ही बीसीसीआई मैच का वेन्यू तय करती है. इसलिए रांची को एक भी मैच नहीं मिला. वहीं खेल प्रशासकों ने अपनी बातें रखी है. जिसमें किसी ने कहा कि राज्य संघ की ओर से अपनी बात जोरदार तरीके से नहीं रखी गयी है, वहीं किसी ने कहा कि बीसीसीआई अपने अनुसार मैच का वेन्यू तय करती है.
अमिताभ चौधरी के नही रहने से जेएससीए गार्जियन विहिन हो गया है. अगर वो रहते तो बात कुछ और होती क्योंकि उनकी पकड़ बीसीसीआई में मजबूत थी. मैं तो यही जानता हूं कि अगर राज्य एसोसिएशन जोरदार तरीके से अपनी बात रखती तो जेएससीए में विश्व कप का मैच जरूर मिलता. शायद ये प्रयास नहीं किया गया है. हॉकी झारखंड ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले कई प्रतियोगिताओं को अपने देश में करवाया है और आगे भी करवाते रहेंगे. इसलिए एसोसिएशन का ये तर्क गलत है कि बीसीसीआई की ओर से रांची को मैच नहीं दिया गया.
भारत में जो भी क्रिकेट के मैच होते हैं बीसीसीआई उसे रोटेशन के अनुसार देता है. उस रोटेशन में झारखंड का नाम नहीं आया होगा. इससे पहले भी रांची में न्यूजीलैंड का मैच मिला था. रोटेशन में हमारा कोटा नहीं होगा. यहां ग्राउंड की कोई समस्या नहीं है. मैच तो बोर्ड ही कराता है हमलोग तो केवल ग्राउंड ही देते हैं. इसलिए और कोई वजह नहीं होना चाहिए. बोर्ड ही आइसीसी को वेन्यू भेजता है और उसपर मुहर लगाया जाता है.
मैं ये तो मानता हूं कि अमिताभ चौधरी जी के नहीं रहने से फर्क तो पड़ा है. विश्व कप का मैच आईसीसी और बीसीसीआई पर निर्भर करता है. वहीं जेएससीए का ग्राउंड उच्च क्वालिटी का है और यहां मैच मिलना चाहिए था. लेकिन मैच नहीं मिलने से यहां के खेल प्रेमियों को निराशा हुई है. अमिताभ जी के रहने से उम्मीद होती कि यहां विश्व कप का मैच मिलता. विश्व कप के किसी भी मैच को लेकर जो उत्साह रहता है वो किसी अन्य सीरीज के मैच में नहीं होता है. किसी भी टीम के खेलने से यहां का अलग ही माहौल देखने को मिलता.
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