बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसकेएमसीएच के एनआइसीयू में 15 घंटे के अंदर जुड़वा बच्चों की मौत के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया. परिजन अस्पताल कर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगा रहे थे. उनका कहना था कि वार्मर नहीं चलने और खून नहीं चढ़ाने के कारण दोनों बच्चों की मौत हो गयी. बच्चों की स्थिति बिगड़ने पर वे जब सूचना देने गये, तो उन्हें डांटकर भगा दिया गया. किसी तरह परिजनों को समझा-बुझाकर मामले को शांत कराया गया.
मधुबनी के जाले निवासी मनोज साह की पत्नी अनीता देवी को परिजनों ने 19 जून को एसकेएमसीएच में भर्ती कराया गया. 23 जून को उसने जुड़वे बच्चों को जन्म दिया. दोनों बच्चों को जॉन्डिस की शिकायत होने पर एनआइसीयू में भर्ती कराया गया था. डॉक्टर ने बच्चे को खून चढ़ाने की बात कही थी, तो परिजन दो यूनिट एसकेएमसीएच के ब्लड बैंक में और एक यूनिट केजरीवाल ब्लड बैंक में ब्लड डोनेट किये थे. परिजनों का आरोप है कि ब्लड ग्रुप मिलान के लिए बच्चों के शरीर से पांच बार ब्लड निकाल लिया गया. कर्मी को खून निकालने से मना करने पर डांट कर बोलता था. कहता था कि खून नहीं निकालने दोगे, तो ब्लड बैंक से नहीं दिया जाएगा.
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मृत बच्चों के पिता मनोज साह ने बताया कि ब्लड नहीं चढ़ाने और वार्मर को बंद रखने के कारण दोनों बच्चों की मौत हुई हैं. बच्चों की स्थिति बिगड़ने पर डॉक्टर और कर्मी को कहने गये, तो डांट कर भगा दिया गया. बच्चे को देखने जाने पर एनआइसीयू वार्ड से निकाल कर उसका गेट बंद कर दिया गया. परिजनों ने अधीक्षक पर भी आरोप लगाया है. परिजनों का कहना है कि इसकी शिकायत जब अधीक्षक के पास करने पहुंचे, तो अधीक्षक ने बिना सुने डांट कर भगा दिया. वहीं, अधीक्षक दीपक कुमार ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है. परिजन उग्र हुए थे, जिन्हें समझा-बुझाकर शांत कराया गया. परिजन की जो शिकायत है, उसको लेकर जांच की जाएगी.