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जातीय गणना पर पटना हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, अदालत ने सुना राज्य सरकार का पक्ष

बिहार के एडवोकेट जनरल पीके शाही ने कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा. इस मामले पर मंगलवार को भी हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. मंगलवार को सुबह 11:30 बजे से कोर्ट में इस मामले की सुनवाई शुरू हो जायेगी.

पटना. बिहार में जाति आधारित गणना पर सोमवार को पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस विनोद के चंद्रन और जस्टिस पार्थ सारथी की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की. दो बजे से शुरू हुई सुनवाई करीब ढाई घंटे तक चली. इस दौरान बिहार के एडवोकेट जनरल पीके शाही ने कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा. इस मामले पर मंगलवार को भी हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. मंगलवार को सुबह 11:30 बजे से कोर्ट में इस मामले की सुनवाई शुरू हो जायेगी.

अब तक 80 फीसदी गणना का काम पूरा

पटना हाईकोर्ट की तरफ से जाति आधारित गणना पर 4 मई को तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई थी. हाई कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा था कि अब तक जो डेटा कलेक्ट हुआ है, उसे नष्ट नहीं किया जाए. उस वक्त तक 80 फीसदी से अधिक जाति की गणना का काम पूरा हो चुका था. हाईकोर्ट की रोक के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया था कि यदि 3 जुलाई तक पटना हाईकोर्ट इस मामले पर सुनवाई नहीं करता है, तो 14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट मामले में सुनवाई करेगा.

7 जनवरी से शुरू हुई गणना

बिहार में 7 जनवरी से शुरू हुई गणना 15 मई को खत्म होने वाली थी, लेकिन उससे पहले ही 4 मई को पटना हाई कोर्ट ने इसपर रोक लगा दिया था. इसके बाद बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. 18 मई को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की बेंच में मामले की सुनवाई हुई. बेंच ने कहा था कि इस बात की जांच करनी होगी कि सर्वेक्षण की आड़ में नीतीश सरकार जनगणना तो नहीं करा रही है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनवाई के लिए पटना हाई कोर्ट के पास वापस भेज दिया था.

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