Sawan 2023: इस वर्ष सावन महीने की शुरुआत 4 जुलाई, दिन मंगलवार से हो रही है. अधिक मास के कारण इस बार सावन दो महीने कुल 58 दिनों का होगा लेकिन श्रावणी पूजा एक महीने ही होगी और सोमवार व्रत भी 4 ही मान्य होंगे. बीच में मलमास के दौरान श्रावणी पूजा नहीं होगी. यानी श्रावणी पूजा दो चरणों में संपन्न होगी. पहला चरण 4 से 17 जुलाई तक, 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहेगा और उसके बाद पुन: 17 अगस्त से 31 अगस्त तक श्रावण होगा. इन दो चरणों में पड़ने वाले सोमवार व्रत ही मान्य होंगे. इस बार कौन-कौन से सावन सोमवारी व्रत मान्य होंगे? सावन में शिव जी की पूजा कैसे करें, पूजा समग्री, मंत्र, उपाय समेत पूरी डिटेल आगे पढ़ें…
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पहले चरण में सावन 4 से 17 जुलाई तक जिसमें दो सावन सोमवारी व्रत पड़ेंगे-
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पहला सावन सोमवार व्रत- 10 जुलाई
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दूसरा सावन सोमवार व्रत- 17 जुलाई
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इस बीच मलमास 18 जुलाई से आरम्भ होकर 16 अगस्त तक रहेगा. जिसमें पड़ने वाले सोमवार व्रत मान्य नहीं होंगे.
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दूसरे चरण में सावन 17 अगस्त से 31 अगस्त तक है इसमें भी दो सावन सोमवारी व्रत पड़ेंगे-
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तीसरा सावन सोमवार व्रत- 21 अगस्त
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चौथा सावन सोमवार व्रत- 28 अगस्त
बैद्यनाथ धाम के ज्योतिषाचार्य ने बताया कि यह मलमास सावन के महीने में पिछली बार 19 साल पहले पड़ा था. यानी की 2004 में सावन 2 महीने का हुआ था. उसके बाद 2023 में सावन में मलमास लग रहा है. मलमास की 18 जुलाई से शुरु होगा और 16 अगस्त को समाप्त होगा.
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि.
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सावन के महीने में रोजाना पूजा करना चाहिए.
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शिव जी को प्रसन्न करने के लिए यह महीना सर्वश्रेष्ठ माना गया है. साथ ही शिवलिंग का अभिषेक करना बहुत लाभ देता है.
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सावन महीने में रोजाना सुबह जल्दी स्नान करके साफ कपड़े पहनें.
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इसके बाद घर के मंदिर में या शिव मंदिर जाकर भगवान शिव के सामने गाय के घी का दीपक जलाएं.
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दूध और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें.
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भोलेनाथ को बेल पत्र, पंचामृत, फल, फूल अर्पित करें.
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आखिर में आरती करें.
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सावन सोमवार के व्रत करें और इस दिन पूरे विधि-विधान से रुद्राभिषेक करें.
शास्त्रों के अनुसार, सावन महीने में व्यक्ति को सात्विक आहार लेना चाहिए. इस माह में प्याज, लहसुन भी नहीं खाना चाहिए. सावन मास में मांस- मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. इस महीने भगवान शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए. इस माह में ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए. सावन के महीने में सोमवार के व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है. अगर संभव हो तो सावन माह में सोमवार का व्रत जरूर करें. सावन सोमवार व्रत के दौरान भगवान शिव का जलाभिषेक करें.
बैद्यनाथधाम के ज्योतिषाचार्य पंडित नंद किशोर मुदगल ने बताया कि पंचांग के अनुसार तीन साल में एक बार मलमास पड़ता है. इसे अधिक मास या पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं. वहीं, जिस चंद्र मास में सूर्य की संक्रांति नहीं होती, उस मास को मलमास कहते हैं. मलमास पड़ जाने के कारण पूरे 1 महीने शुभ कार्य की मनाही होती है. मलमास भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इस अवधि में विष्णु भगवान की उपासना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.
हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास हिंदी कैलेंडर में पांचवें स्थान पर आता है. मान्यताओं के अनुसार, सावन का महीना भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना के लिए बेहद ही खास होता है. ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति सावन के हर सोमवार को व्रत रखकर भगवान शिव की उपासना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.
ॐ नमः शिवाय
प्रौं ह्रीं ठः
ऊर्ध्व भू फट्
इं क्षं मं औं अं
नमो नीलकण्ठाय
ॐ पार्वतीपतये नमः
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय
ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा
ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ
ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ !!