नीतीश कुमार जब 2005 के नवंबर महीने में प्रदेश की बागडोर संभाली तो उन्होंने ताश के तीन इक्के की तरह तीन बड़े अधिकारियों को जिम्मेवारी सौंपी. इनमें से पहले थे, अंजनी कुमार सिंह, दूसरे अफजल अमानुल्लाह और तीसरे थे अभ्यानंद. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अंतरंग दोस्तों द्वारा लिखित किताब में इस बात की चर्चा बड़े ही रोचक तरीके से की गयी है. मुख्यमंत्री के मित्र उदयकांत द्वारा लिखित इस पुस्तक में कहा गया कि ट्रेन के जुआरी सहयात्रियों से नीतीश कुमार ने समझ लिया था कि तीन पत्तों के खेल में तीन इक्के का हाथ में आ जाना सबसे बड़ा हाथ माना जाता है. इन्हें अंग्रेज़ी में थ्री एसेज़ कहा जाता है. ताश के खेल में अगर किसी का भाग्य बहुत ही अच्छा हो तभी उसे तीन इक्कों के दर्शन एक साथ हो सकते हैं.
नीतीश कुमार ठहरे कर्मयोगी. बिहार में मुख्यमंत्री बनकर आते ही अपने प्रशासन की नींव पक्की करने के लिए उसने तीन ज़बरदस्त इक्कों (थ्री एसेज़) का चुनाव किया. इन तीन इक्कों को सामने लाकर आनन-फ़ानन में बड़ी ज़िम्मेदारियां सौंप दी गयी. यह सब अधिकारी तब अपने-अपने विभागों के सबसे वरिष्ठ अधिकारी नहीं थे, लेकिन उनकी ख्याति सर्वश्रेष्ठ अधिकारियों में ही होती थी. इन तीनों ने भी नीतीश कुमार के विश्वास को कभी नहीं झुठलाया.
इन सबके नाम अंग्रेज़ी के अक्षर ए (हिन्दी अक्षर अ) से शुरू होते थे. यह महज़ संयोग ही होगा कि उसने शिक्षा विभाग की बागडोर संभालने का काम बड़े सक्षम और कर्मठ अधिकारी अंजनी कुमार सिंह को सौंपा जो पहले से ही बिहार सरकार में कार्यरत थे. गृह विभाग की ज़िम्मेदारी दूसरे ए (अ) से नाम शुरू होनेवाले बड़े ज़हीन और क़ाबिल ऑफ़िसर अफ़ज़ल अमानुल्ला के हाथों, उन्हें दिल्ली की प्रतिनियुक्ति से वापस बुलाकर, सौंपी गयी. मास्टर स्ट्रोक या तुरुप का इक्का इन्होंने बड़े होनहार पुलिस अधिकारी अभयानन्द में खोज निकाला. वे भी प्रतिनियुक्ति पर कहीं बाहर थे. ये तीनों अधिकारी अपने-अपने कार्यक्षेत्र में किसी भी दख़लन्दाज़ी को बर्दाश्त करनेवाले लोगों में कभी नहीं रहे थे.
नीतीश कुमार ने उनकी स्वायत्तता को पूरा संरक्षण दिया. फिर तो अभयानंद और अमानुल्ला की जोड़ी ने अपराधियों की दुनिया में ऐसा ग़दर मचाया कि महीने-भर में सारे शातिर बदमाश या तो सलाख़ों के पीछे नज़र आये या फिर तड़ी पार करके हवा में विलीन हो गये. लगा कि जैसे किसी जादू के ज़ोर से नीतीश कुमार की इस नौजवानों की टीम ने रातों-रात ‘मंगल राज’ का बिगुल बजा दिया.