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2000 रुपये के नोट वापस लेने के खिलाफ याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में खारिज

मुख्य जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने पारित एक फैसले में कहा, इसलिए, आरबीआई ने आरबीआई अधिनियम के तहत प्रदत्त शक्तियों या बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 का उल्लंघन नहीं किया है.

दिल्ली हाई कोर्ट ने 2,000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने के भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अधिसूचना केंद्रीय बैंक की करेंसी मैनेजमेंट सिस्टम का हिस्सा है. हाई कोर्ट ने कहा कि आरबीआई ने बैंकों को केवल यह निर्देश दिया है कि वे अपने ग्राहकों को 2,000 रुपये मूल्य वर्ग के नोट जारी न करें, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे वैध मुद्रा बने रहने के बावजूद चलन में नहीं हैं. कोर्ट ने कहा, तथ्य यह है कि 2,000 रुपये के नोट को बदलने की अनुमति केवल 23 सितंबर, 2023 तक उपलब्ध है, इसका मतलब यह नहीं है कि आरबीआई ने निर्देश जारी किया है कि 23 सितंबर से 2,000 रुपये के नोट बंद हो जाएंगे.

2,000 रुपये के नोट जारी नहीं करने का निर्देश

मुख्य जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने पारित एक फैसले में कहा, इसलिए, आरबीआई ने आरबीआई अधिनियम के तहत प्रदत्त शक्तियों या बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 का उल्लंघन नहीं किया है. पीठ का यह फैसला आज उपलब्ध हो पाया. हाई कोर्ट ने रजनीश भास्कर गुप्ता की जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिन्होंने दलील दी थी कि आरबीआई के पास 2,000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने की कोई शक्ति नहीं है और ऐसा करने की शक्ति केवल केंद्र सरकार में निहित है. पीठ ने कहा कि अधिसूचना जारी करना आरबीआई के अधिकार क्षेत्र में है, जो करेंसी मैनेजमेंट सिस्टम का ही एक हिस्सा है और अधिसूचना महज बैंकों को 2,000 रुपये के नोट जारी नहीं करने का निर्देश है.

उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए याचिका खारिज

पीठ ने कहा, परिपत्र 2,000 रुपये के बैंक नोट को छापने या बंद करने का निर्देश नहीं है, जो केंद्र सरकार का क्षेत्र है और कोर्ट आमतौर पर नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती हैं जब तक कि निर्णय पूरी तरह से मनमाना न हो. उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए याचिका खारिज की जाती है. हाई कोर्ट ने कहा कि जब तक 2,000 रुपये मूल्य वर्ग के बैंक नोट वैध मुद्रा बने रहेंगे, तब तक यह नहीं कहा जा सकता है कि आरबीआई द्वारा विभिन्न बैंकों को इन बैंक नोट को अपने मुद्रा भंडार से जारी नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं. पीठ ने कहा कि आरबीआई का फैसला केवल चलन में मौजूद नोटों के प्रबंधन के लिए है.

मुद्रा प्रबंधन कवायद और आर्थिक नीति का मामला

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि आरबीआई के पास किसी भी मूल्यवर्ग के बैंक नोट को जारी न करने या बंद करने का निर्देश देने की कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है और यह शक्ति आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 24 (2) के तहत केवल केंद्र में निहित है. आरबीआई ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वह केवल 2,000 रुपये के नोट को चलन से वापस ले रहा है जो एक मुद्रा प्रबंधन कवायद और आर्थिक नीति का मामला है.

RBI और SBI द्वारा जारी अधिसूचनाएं मनमानी

इससे पहले, हाई कोर्ट ने वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की एक याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें दावा किया गया था कि पहचान प्रमाणपत्र के बिना 2,000 रुपये मूल्य वर्ग के नोट को बदलने के लिए आरबीआई और एसबीआई द्वारा जारी अधिसूचनाएं मनमानी थीं और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों के खिलाफ थीं. हाई कोर्ट ने कहा था कि ऐसा नागरिकों को असुविधा से बचने के लिए किया गया है और कोर्ट किसी नीतिगत निर्णय पर अपीलीय प्राधिकारी के रूप में नहीं बैठ सकती.

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