Bihar News: बिहार में कतरनी के बाद धान की दूसरी वैरायटी छोटी होगी. बीएयू इसकी लंबाई को छोटा करेगा. इसके लिए शोध जारी है. इस शोध में सफलता मिल जाने के बाद धान के उत्पादन में वृद्धि होगी. इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी. इसके अलावा किसानों को और भी फायदा होने वाला है. खरीफ के मौसम में आंधी और बारिश के कारण धान की फसलों को नुकसान होता है. इसे लेकर ही बीएयू ने यह फैसला लिया है. इसके बचाव के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे है. कृषि वैज्ञानिक कतरनी धान के लंबे-लंबे पौधों को छोटा करने में जुटे है.
किसानों का नुकसान होगा कम
इसमें थोड़ी सफलता मिलने के बाद दूसरी वैरायटी पर काम हो रहा है. इससे किसानों को काफी फायदा होगा. उन्हें परेशानी कम होगी. इसके अलावा नुकसान भी कम होगा. कतरनी के बाद अब सोनाचूर, मालभोग, श्यामजीरा और कारीबांक वैरायटी के पौधों को शामिल किया गया है. ऐसे इनकी लंबाई 155 से 160 सेंटीमीटर होती है. लेकिन, अब शोध के बाद इनकी लंबाई 20 से 25 सेंटीमीटर कम कर 125 से 130 सेंटीमीटर की जाएगी.
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पौधों का बीज हो रहा तैयार
बीएयू के खेतों में चारों वैरायटी के पौधों का बीज तैयार किया जा रहा है. फिलहाल, इसके बीज को तीन एग्रो क्लाइमेटिक जोन में लगाया जा रहा है. सफलता मिलने के बाद इसकी जांच भी की जाएगी. साथ ही अलग-अलग जगहों पर इसका ट्रायल किया जाएगा. इसकी प्रजाति के विकसित होने के बाद इसे किसानों के बीच वितरित किया जाएगा. जानकारी के अनुसार चारों वैरायटी को तैयार होने में 140 से 150 दिन का समय लगता था. इसके बाद अब इसमें 125 से 130 दिन का समय लगेगा.
Published By: Sakshi Shiva