झारखंड हाइकोर्ट ने डायन-बिसाही की घटनाअों को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर अॉनलाइन सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान राज्य सरकार को कोर्ट के आदेशों का अनुपालन करने का निर्देश दिया. लोगों के बीच जागरूकता फैलायी जाये. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 26 जुलाई की तिथि निर्धारित की.
इससे पूर्व झारखंड स्टेट लीगल सर्विसेज अॉथोरिटी (झालसा) के सदस्य सचिव की अोर से शपथ पत्र दायर कर बताया गया कि गुमला जिला में डायन-बिसाही की सबसे अधिक घटनाएं होती हैं. मारपीट के साथ-साथ हत्या की घटनाएं अधिक है. झालसा की अोर से जागरूकता अभियान चला कर लोगों को डायन-बिसाही जैसे अंधविश्वास को खत्म करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि डायन-बिसाही की घटनाअों को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.
झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने धनबाद के तोपचांची के थानेदार उमेश कच्छप की आत्महत्या के मामले की सीबीआइ से जांच कराने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. इस दाैरान प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने पूछा कि मामले की जांच सीबीआइ से क्यों नहीं करायी जाये. राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से चार सप्ताह के अंदर जवाब दायर करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह के बाद होगी.
इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने अदालत को बताया कि थानेदार उमेश कच्छप ने आत्महत्या नहीं की थी. साजिश के तहत उनकी हत्या की गयी है. उनकी पत्नी का कहना था कि वह कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते थे. अधिवक्ता श्री सिंह ने कहा कि पुलिस जांच पर उन्हें भरोसा नहीं है. मामले की जांच सीबीआइ से कराने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी की पुत्री विजेता कच्छप ने क्रिमिनल रिट याचिका दायर कर मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की है.