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झारखंड : सीएम हेमंत सोरेन के बयान पर बिफरे राज्य के फार्मासिस्ट, राजभवन के सामने दिया धरना

झारखंड में दवा दुकान खोलने के लिए फार्मासिस्ट की डिग्री की जरूरत नहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इस बयान पर राज्य के फार्मासिस्ट नाराज हैं. इसको लेकर गुरुवार को राजभवन के सामने एक दिवसीय धरना दिया. कहा कि राज्य के मुखिया का ऐसा बयान सही नहीं है.

Jharkhand News: अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन के बैनर तले राज्यभर के फार्मासिस्ट ने राजभवन के समक्ष गुरुवार को एक दिवसीय धरना दिया. अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन, रांची के अध्यक्ष कृष्णा कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 29 जून को एक बयान में कहा था कि अब पढ़े-लिखे युवा भी दवा दुकान खोल सकते हैं. राज्य में दवा दुकान खोलने के लिए अब फार्मासिस्ट डिग्री की जरूरत नहीं है. आज हम उसी बयान का विरोध करने के लिए यहां धरना पर बैठे हैं. कहा कि अगर सीएम अपना बयान वापस नहीं लेते हैं, तो यह प्रदर्शन लंबा चलेगा. कहा कि फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन- 2015 के तहत यह गलत बयानी है.

फार्मासिस्ट को दवाइयों की रहती है बेहतर जानकारी

धरना दे रहे प्रदेश महासचिव अमित कुमार ने कहा कि फार्मेसिस्ट एक ऐसा पेशा है जिसके भरोसे किसी भी मेडिकल दुकान से दवाई लेकर कोई भी आसानी से ठीक हो जाता है क्योंकि फार्मेसिस्ट को पता रहता है किस बीमारी के लिए कैसी दवा देनी चाहिए. अगर यही जिम्मेदारी किसी 10वीं या 12वीं पास को दी जाए, तो वह समझ ही नहीं पाएगा की बीमारी के लक्षण के हिसाब से कौन सी दवा देनी सही रहेगी.

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झारखंड में अब तक नहीं हुई फार्मासिस्ट की बहाली

धरना दे रहे फार्मासिस्टों की मांग है कि झारखंड में पिछले चार साल में करीब छह हजार से ज्यादा फार्मासिस्ट का निबंधन झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल में हुआ है. पिछले 23 साल से झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग में फार्मासिस्ट की नियमित बहाली नहीं हुई है. जिस कारण झारखंड में फार्मासिस्ट की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.

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