उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल की एक सत्र अदालत को निर्देश दिया कि वह क्रिकेटर मोहम्मद शमी के खिलाफ दायर घरेलू हिंसा मामले में एक महीने के अंदर फैसला करे. यह याचिका शमी की अलग हो चुकी पत्नी हसीन जहां द्वारा दायर की गई है. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ हसीन जहां की अपील पर सुनवाई कर रही थी. जहां ने इस याचिका में कलकत्ता उच्च न्यायालय के 28 मार्च, 2023 के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें शमी के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट पर रोक संबंधी सत्र न्यायाधीश के आदेश को बरकरार रखा गया था.
1 महीने के अंदर होगी सुनवाई
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि भारतीय तेज गेंदबाज शमी के खिलाफ आठ मार्च, 2018 को जादवपुर थाने में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया गया था. यह मामला अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अलीपुर (दक्षिण 24 परगना) के समक्ष लंबित है. पीठ ने यह भी गौर किया कि 29 अगस्त, 2019 को क्रिकेटर के खिलाफ अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था. बाद में, शमी ने गिरफ्तारी वारंट के खिलाफ सत्र न्यायाधीश के समक्ष पुनरीक्षण याचिका दायर की और उन्होंने दो नवंबर, 2019 तक आपराधिक मामले में सभी कार्यवाही पर रोक लगा दी. इसके बाद, कार्यवाही नहीं हुई और पिछले चार साल से मुकदमे पर रोक लगी हुई है.
कार्यवाही पर रोक जारी रखने का कोई औचित्य नहीं
पीठ में न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पीठ ने कहा, ‘उपरोक्त पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए, हम याचिकाकर्ता की शिकायत में आधार पाते हैं कि जब गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद पुनरीक्षण हुआ तो आगे की सभी कार्यवाही पर रोक जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है.’ उसने कहा, ‘तदनुसार, हम सत्र न्यायाधीश को आपराधिक पुनरीक्षण पर गौर करने और इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तारीख से एक महीने की अवधि के भीतर मामले का निपटान करने का निर्देश देते हैं. यदि अत्यावश्यक कार्यों की वजह से सत्र न्यायाधीश ऐसा नहीं कर पाते हैं तो वह उपरोक्त मामले में लगाई गई रोक हटाने या संशोधित करने के लिए किसी भी आवेदन का उसी अवधि के भीतर अनिवार्य रूप से निपटान करेंगे.’ जहां ने शमी और उनके परिवार के कुछ सदस्यों के खिलाफ 2018 में घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया था.
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