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मधुश्रावणी 2023: नवविवाहिता के ससुराल और मायके दोनों का रहता है सहयोग, जानिए भाई की विशेष भूमिका और रस्म..

madhushravani puja 2023 : मधुश्रावणी 2023 लोकपर्व शुक्रवार से शुरू हो गया है. इस बार नवविवाहिता 44 दिनों तक पूजा करेंगी. मधुश्रावणी पूजा में नवविवाहिता के ससुराल और मायके दोनों की भूमिका होती है. कन्या के भाई का इस पूजा में बड़ा रोल रहता है. जानिए क्या है इसमें खास...

श्रावण मास के कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि से शुरू होकर शुक्ल पक्ष तृतीया को संपन्न होने वाला मधुश्रावणी व्रत (madhushravani puja 2023 ) इस बार 44 दिनों तक चलेगा. दरअसल इससे पहले प्राय: 13 से 15 दिनों तक होता था. इस बार 7 जुलाई शुक्रवार को शुरू होकर 19 अगस्त तक ये होगा. मधुश्रावणी में ससुराल और मायका दोनों की भूमिका बेहद खास होती है. वहीं नवविवाहिता के भाई की भी भूमिका बेहद अहम होती है.

माता गौरी और भगवान शिव की आराधना

भागलपुर के पंडित सौरभ मिश्रा ने बताया कि इस बार सात जुलाई शुक्रवार को प्रात: 7:50 बजे मघुश्रावणी व्रत का शुभारंभ होगा. इसमें माता गौरी और भगवान शिव की आराधना करने की मान्यता है. मिथिला समाज की नवविवाहिता अरवा भोजन ग्रहण कर पूजन करती हैं. एक दिन पहले अर्थात गुरुवार को नहाय-खाय का अनुष्ठान हुआ. यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है.

इस बार 44 दिन का व्रत, जानिए वजह

इस बार 44 दिन का व्रत होने का मूल कारण 18 जुलाई से मलमास शुरू होना है. इसका समापन 16 अगस्त को होगा. मलमास में व्रत के दौरान नवविवाहिता सेंधा नमक का उपयोग कर सकती हैं. मान्यता के अनुसार नवविवाहिता अपने मायके में यह व्रत करती है. इस व्रत में नमक नहीं खाती हैं और जमीन पर सोती हैं.

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ससुराल से आये अनाज से तैयार होता है भोजन

पूजा के बाद ससुराल से आया भोजन नवविवाहिता ग्रहण करती हैं. पूजा के लिए मिट्टी का नाग-नागिन, हाथी, गौरी, शिव की प्रतिमा बनायी जाती है. फिर मौसमी फल, मिठाई, तरह-तरह के फूल को चढ़ाया जाता है. आठवें और नौवें दिन प्रसाद के रूप में खीर रसगुल्ला का भोग लगाया जाता है. प्रतिदिन संध्या में नवविवाहिता आरती सुहागन गीत, कोहबर गीत गाकर भोले शंकर को पसंद करती हैं.

नवविवाहिता के भाई का रहता है बड़ा योगदान

मान्यता के अनुसार इस व्रत में नवविवाहिता के भाई का बहुत ही बड़ा योगदान रहता है. प्रत्येक दिन पूजा समाप्ति के बाद भाई अपनी बहन को हाथ पकड़कर उठाता है. मधुश्रावणी जीवन में सिर्फ एक बार शादी के पहले सावन को किया जाता है. यह व्रत नवविवाहित महिलाएं करती है. नवविवाहित औरतें नमक के बिना 13 से 14 दिन भोजन ग्रहण करती है. इस व्रत में अनाज, मीठा भोजन लिया जाता है. अनुष्ठान के दौरान नवविवाहिता एक ही साड़ी का इस्तेमाल करती हैं.

19 साल बाद अधिकमास की वजह से डेढ़ माह का होगा मधुश्रावणी व्रत,

प्राय: मधुश्रावणी 14 से 15 दिनों का होता है. इस बार अधिकमास (खरमास या मलमास) होने के चलते यह तकरीबन डेढ़ महीने तक चलेगा. ऐसा 19 साल बाद होगा, जब पति की लंबी उम्र के लिए मनाए जाने वाला यह पर्व एक महीने से भी अधिक समय तक मनाया जायेगा. मधुश्रावणी की शुरुआत श्रावण मास कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से होती है, जबकि समापन शुक्ल पक्ष की तृतिया तिथि को होती है. इस बार इसकी शुरुआत सात जुलाई को होगी और समापन 19 अगस्त को टेमी दागने के साथ होगा. इस बीच सात से 17 जुलाई और फिर 17 जुलाई से 19 अगस्त तक दो टुकड़ों में यह मनाया जायेगा.

Published By: Thakur Shaktilochan

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