वाराणसी: पीएम नरेंद्र मोदी की आत्मा में काशी और काशीवासी बसते हैं. यही कारण है कि वैश्विक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यस्तता के बावजूद प्रधानमंत्री अपनी काशी में आने का मोह नहीं छोड़ पाते हैं. यहां की विरासत और संस्कृति के लिए उनके मन में चिंता और चिंतन भाव होता है. शुक्रवार को वाराणसी के वाजिदपुर में आयोजित जनसभा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीएम मोदी का स्वागत करते हुए कही.
सीएम ने कहा कि पवित्र सावन माह में बाबा विश्वनाथ की पावन धरा पर काशी को मेरी काशी के रूप में वैश्विक मान्यता देने वाले पीएम नरेंद्र मोदी का मैं स्वागत एवं अभिनंदन करता हूं. संस्कृति और समृद्धि का नया रूप काशी ही नहीं देश और प्रदेश के अंदर देखने को मिल रहा है. विकास और विरासत की परंपरा की शुरुअता इसी काशी से पीएम ने 2014 से शुरू किया था. इसमें आज एक नई कड़ी जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री एक बार फिर अपनी काशी में आए हैं.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि काशी विश्वनाथ धाम पूरी दुनिया को आकर्षित कर रहा है. काशी के मंदिर और घाट सज रहे हैं. जी-20 के लिए भी काशी का कायाकल्प हम सबने देखा. शंघाई सहयोग परिषद की ओर से भी 2022-23 में काशी को दुनिया की सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर मान्यता मिली है. 12 हजार करोड़ से ज्यादा की परियोजनाओं को लेकर प्रधानमंत्री का आगमन काशी में हुआ है. नौ वर्ष की सफलता को लेकर आज प्रधानमंत्री अपनी काशी में आए हैं।
सीएम योगी ने कहा कि हर मोर्चे पर भारत ने नई सफलता की नई कहानी गढ़ी है. जिस आस्था के लिए भारत कभी तरसता था, आज उसका मूल स्वरूप काशी में देखने को मिलता है. बाबा विश्वनाथ की पावन धरा पर प्रधानमंत्री का आगमन हुआ है, ये हम सब के लिए गर्व का विषय है. इस मौके पर केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक, नगर विकास और ऊर्जा विभाग के मंत्री एके शर्मा, केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल, राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल, दयाशंकर मिश्र दयालू, सांसद और विधायकगण मौजूद थे.
पीएम नरेंद्र मोदी के वाराणसी पहुंचने पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने बनारस की बनी साफ्ट स्टोन जाली क्राफ्ट भेंट कर उनका स्वागत किया. वाराणसी के इस जीआई क्राफ्ट पर गोवर्धन पर्वत पर गायों के झुंड की आकृति बड़ी बारीकी से उकेरी गई है. पद्मश्री सम्मानित जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनी कांत ने बताया कि रामनगर निवासी स्टेट अवार्डी स्टोन क्राफ्ट शिल्पी बच्चे लाल मौर्या ने एक सिंगल स्टोन पर जाली क्राफ्ट तकनीक से गोवर्धन पर्वत बना कर उस पर 11 गाय और बछड़ों का झुंड बनाकर कर जंगल के दृश्य भी बहुत बारीकी से दर्शाए हैं.
सिल्क का तनछुई जामावर अंगवस्त्र फुलवरियां, पीलीकोठी के मास्टर बुनकर रमजान अली ने जीआई टैग के साथ बुना. यह काशी की हैंडलूम वीविंग का शानदार उदाहरण है. इसमें रेशम के 5 रंग के धागों का प्रयोग किया गया और ब्रोकेड बुनाई का जामावार पैटर्न है, जिसमें पीछे के तरफ धागा नहीं दिखता है. काशी के शिल्पियों, बुनकरों में उत्साह है कि प्रधानमंत्री उनके ब्रांड एम्बेसडर हैं.