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पटना: ट्रेन में मोबाइल चोरी के लिए पगार पर रखे जाते हैं बेरोजगार, बांग्लादेश तक होती है सप्लाई, 9 गिरफ्तार

रेल पुलिस ने ट्रेनों में मोबाइल चोरी करने वाले बड़े गिरोह का पर्दाफाश करते हुए कुल 9 बदमाशों को गिरफ्तार किया है. इनमें सरगना व सप्लायर भी शामिल हैं. फोन चोरी करने के बाद किस तरह बांग्लादेश तक भेजा जाता था. ये खुलासा हुआ. जानिए पूरा खेल..

रेल पुलिस ने पटना के साथ ही अन्य जंक्शनों के प्लेटफार्म, ट्रेन के अंदर मोबाइल फोन चोरी करने वाले अंतराज्जीय गिरोह के सरगना समेत नौ को गिरफ्तार किया है. इसमें दो नाबालिग भी शामिल हैं. पकड़े गये चोरों के पास से 8.50 लाख रुपये कीमत के 56 मोबाइल फोन बरामद किये गये हैं. गिरोह झारखंड के साहिबगंज व पश्चिम बंगाल का है. साहिबगंज से जुड़े शातिर मोबाइल चोरी करने व पश्चिम बंगाल के शातिर बेचने का काम करते हैं.

56 मोबाइल फोन बरामद

पकड़े गये चोरों के पास से 8.50 लाख रुपये कीमत के 56 मोबाइल फोन बरामद किये गये हैं. गिरोह झारखंड के साहिबगंज व पश्चिम बंगाल का है. साहिबगंज से जुड़े शातिर मोबाइल चोरी करने व पश्चिम बंगाल का शातिर बेचने का काम करते हैं.

नाबालिग बच्चे भी धराये

पकड़े गये बदमाशों में पश्चिम बंगाल के मालदा निवासी सलाम शेख, साहेबगंज निवासी आलोक कुमार, भागलपुर निवासी सन्नी कुमार, साहेबगंज निवासी अमन चौधरी, श्रवण कुमार, मनीष कुमार व सूरज मंडल शामिल हैं. दोनों नाबालिग बच्चे भी साहेबगंज के हैं. इन लोगों का सरगना अमन, सन्नी व श्रवण है.

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बांग्लादेश भी पहुंचा दिया जाता है फोन

सहयोगी के रूप में सूरज, मनीष, आलोक काम करते हैं. जबकि सलाम शेख चोरी के मोबाइल फोन को पश्चिम बंगाल ले जा कर बेच देता है. यहां तक की उन मोबाइल फोन को बांग्लादेश भी पहुंचा दिया जाता है. इन मोबाइल फोनों के खरीदार साइबर अपराधी भी होते हैं.

पश्चिम बंगाल जा रहे सलाम को पकड़ा

पुलिस ने पश्चिम बंगाल जा रहे सलाम को 34 मोबाइल फोन के साथ मोकामा स्टेशन के पास पकड़ लिया. उसने एक विशेष जैकेट में ये सभी मोबाइल फोन छिपा रखे थे. इसकी निशानदेही पर पुलिस ने मीठापुर स्थित एक होटल में छापेमारी कर 22 और मोबाइल फोन के साथ अमन, श्रवण, आलोक व अन्य को रेल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. साथ ही दो बच्चों को भी पकड़ लिया गया.

बेरोजगारों को वेतन पर रखता है गिरोह

यह गिरोह बेरोजगारों को मोबाइल फोन चोरी के लिए वेतन पर भी रखता है. साहिबगंज से गरीब बच्चों को काम दिलाने के नाम पर पटना लाकर पॉकेट से मोबाइल फोन निकालना सिखाया जाता है. इसके बाद उनका नाम कारीगर कर दिया जाता है और प्रति मोबाइल फोन सौ रुपये दिये जाते हैं. बच्चा मोबाइल फोन चुरा कर स्टेशन परिसर में खड़े गैंग के सदस्य यानी हेल्पर को सौंप देता है. गिरोह ने हेल्पर आलोक को 15 हजार के माह पर रखा था. हेल्पर गिरोह के सरगना को मोबाइल सौंप देता है.

Published By: Thakur Shaktilochan

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