बरेली : लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मुखिया मायावती का सोशल इंजीनियरिंग पर फोकस है. उनका प्लान हर जाति को साधने का है. जिससे लोकसभा चुनाव 2024 में जीत हासिल कर केंद्र की सत्ता में भागीदारी हासिल कर पार्टी के अस्तित्व को बचा सकें. क्योंकि बसपा के जनाधार में लगातार कमी आ रही है. यूपी विधानसभा चुनाव 2007 में अपने दम पर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली बसपा को पिछले विधानसभा चुनाव में करीब 13 फीसद वोट मिले हैं. जबकि यूपी में करीब 22 फीसद दलित वोट है. हर चुनाव में जनाधार में कमी आ रही है. इससे पार्टी का बेस वोट दलित भी दूर होने लगा है. पार्टी के राष्ट्रीय दर्जे पर भी संकट के बादल आ रहे हैं.
बसपा प्रमुख लोकसभा चुनाव 2024 से पहले हर जाति के नेता को बड़ी जिम्मेदारियां देकर उनके समाज को साधने की कोशिश है.इसके लिए बरेली के मुख्य जोन कोऑर्डिनेटर से लेकर यूपी के सभी कोऑर्डिनेटर से जातिवार नेताओं की जानकारी मांगी गई है.इन नेताओं को पद देने के बाद उनको जातियों के बीच में भेजा जाएगा. मगर,जातिवार नेता की जानकारी देने से पहले वह पार्टी में कितने पुराने,बफादर,और इमानदार की बारे में भी पूछा गया है.इसमें पिछड़ी जाति के कुर्मी,मौर्य,किसान, प्रजापति, कश्यप, मल्लाह,पासी, और मुस्लिम आदि जातियों के नेताओं को रिपोर्ट तलब की गई है.
बसपा के पास हर जाति के बड़े नेता थे.वह अपने समाज के वोट को पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में डलवाने की हैसियत रखते थे. मगर पार्टी के एक पुराने नेता ने दबी जुंबा से बताया कि सतीश चंद्र मिश्रा के आने के बाद बसपा में सियासी परिस्थितियां बदल गई. इसके बाद स्वामी प्रसाद मौर्य, नसीममुद्दी सिद्दीकी, एसपी सिंह बघेल, आरके चौधरी, इस्लाम साबिर, इंद्रजीत सिंह सरोज,जयवीर सिंह, लक्ष्मी नारायण चौधरी, नरेंद्र कश्यप,हीरा लाल कश्यप, विजयपाल सिंह, रोशन लाल वर्मा, डॉक्टर डीसी वर्मा, धर्म सिंह सैनी समेत तमाम प्रमुख नेता बसपा के हाथी से उतरकर भाजपा, सपा, और कांग्रेस में शामिल हो गए.इसके बाद पार्टी का प्रदर्शन भी खराब होने लगा.
बसपा को यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के बाद नगर निकाय चुनाव 2023 में भी बड़ा सियासी नुकसान हुआ है. मेरठ और अलीगढ़ नगर निगम की मेयर सीट हाथ से जाने के साथ ही नगर पालिका और नगर पंचायतों में भी पार्टी प्रत्याशियों का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा. इसके बाद बसपा प्रमुख मायावती ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले संगठन में बड़ा फेरबदल किया.मुख्य जोन इंचार्ज शमसुद्दीन राईन को मेरठ से हटाकर बरेली मंडल में भेजा गया. मेरठ मंडल का मुख्य जोन इंचार्ज पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मुनकाद अली को बनाया गया है.
वह मेरठ की किठौर नगर पंचायत के रहने वाले हैं.जिससे मेरठ मंडल की लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की जा सके.बरेली मंडल के बरेली, पीलीभीत, बदायूं, और शाहजहांपुर जिलों के मुख्य जोन इंचार्ज शमसुद्दीन राईन के साथ सांसद गिरीश चंद्र जाटव, और सूरज सिंह को भी दी गई है.इससे पहले बरेली मंडल के मुख्य जोन इंचार्ज नौशाद अली, राजकुमार गौतम, और प्रदीप जाटव को निकाय चुनाव में करारी हार के बाद हटा दिया गया.इसके साथ ही जयपाल सिंह एडवोकेट को एक बार फिर बरेली का जिलाध्यक्ष बनाया गया है.बदायूं का रक्षपाल निमेष, पीलीभीत में भगवान सिंह गौतम और शाहजहांपुर में उदयवीर सिंह को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है.
रिपोर्ट मुहम्मद साजिद बरेली