30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

SGPGI News: रोबोटिक सर्जरी से निकाला 8 साल के बच्चे की एड्रिनल ग्रंथि का ट्यूमर, यूपी की पहली ऐसी सर्जरी

एसजीपीजीआई के एंडोक्राइन सर्जन डॉ. ज्ञानचंद ने बताया कि 8 वर्षीय विशाल (परिवर्तित नाम) की दाहिनी एड्रिनल ग्रंथि में ट्यूमर हो गया था. यह ग्रंथि गुर्दे के ऊपर होती है. इससे कोर्टिसोल नामक हॉर्मोन का स्राव बढ़ गया था. इस हार्मोन की अधिकता से ब्लड प्रेशर बढ़ना और कई अन्य दिक्कतें होती हैं.

लखनऊ: संजय गांधी पीजीआई (SGPGI) के डॉ. ज्ञानचंद ने 8 साल के एक बच्चे का एड्रिनल ग्रंथि का ट्यूमर रोबोटिक्स सर्जरी (छोटे से छेदों) से निकाल दिया. दावा किया गया है कि यह सर्जरी उत्तर प्रदेश और संपूर्ण भारत के किसी भी सरकारी संस्थान में होने वाली पहली ऐसी सर्जरी है. जिसमें किसी बच्चे की एड्रेनल ग्रंथि के ट्यूमर को पोस्टीरियर रेट्रोपेरिटोनियोस्कॉपिक विधि (Posterior retroperitoneoscopic method) से निकाला गया है.

कुशिंग सिंड्राेम से पीड़ित था बच्चा

एसजीपीजीआई (SGPGI Lucknow) के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के डॉ. ज्ञानचंद ने बताया कि लखनऊ निवासी 8 वर्षीय विशाल (परिवर्तित नाम) की दाहिनी एड्रिनल ग्रंथि में ट्यूमर हो गया था. यह ट्यूमर लगातार बढ़ रहा था. जांच करने पर पता चला उससे कोर्टिसोल नामक हार्मोन अधिक मात्रा में स्रावित हो रहा था. जिसे कुशिंग सिंड्रोम कहते हैं. इसकी वजह से बच्चे का ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ गया था. उसके लिए उसको ब्लड प्रेशर की दो से ज्यादा दवाइयां लेनी पड़ रही थी.

कोर्टिसोल हॉर्मोन की अधिकता से बढ़ गयी थी दिक्कतें

दो दवाइयां लेने के बावजूद उसका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता था. कोर्टिसोल हॉर्मोन की अधिकता से उसका चेहरा सूज गया था. गर्दन में कूबड़ निकल आया था. पेट मोटा हो गया था. चेहरे पर बाल व मुहांसे निकल आये थे. जिससे आठ साल का बच्चा 13-14 वर्ष का लगने लगा था. सीटी स्कैन कराने पर पता चला कि बच्चे की दाहिनी एड्रिनल ग्रंथि में ट्यूमर है. यह ग्रंथि गुर्दे के ऊपर होती है. इसी ट्यूमर से निकलने वाले कोर्टिसोल नामक हॉर्मोन की वजह से बच्चे को दिक्कत थी.

आस-पास के अंगो से चिपका हुआ था ट्यूमर

डॉ. ज्ञान चंद (Dr Gyan Chand SGPGI) ने बताया कि बच्चे को भर्ती करके एंडोक्राइनोलॉजिस्ट (Endocrinologist) की मदद से पहले ब्लड प्रेशर नियंत्रित किया गया. जांचो से पता चला की ट्यूमर बहुत ही जटिल है और आस पास के अंगों से चिपका हुआ है. इसके बाद बच्चे के परिवारीजनों को बताया गया कि यदि पोस्टीरियररेट्रोपेरिटोनियो स्कॉपिक रोबोटिक अड्रेनलेक्टोमी विधि से इसका ऑपरेशन किया जाये तो कम तकलीफ से टूयूमर को निकाला जा सकता है.

रोबोटिक सर्जरी से छोटे छेदों से निकाल ट्यूमर

यही नहीं इस विधि से ऑपरेशन करने पर मरीज को कम दर्द होता है. मरीज तेजी से ठीक हो जाता है. ट्यूमर भी पूरा निकल जाता है और पारंपरिक रोबोटिक एड्रिनल सर्जरी से खर्चा भी कम आता है. परिवारीजनों की सहमति के बाद बीते शुक्रवार को डॉ. ज्ञान चंद ने ढाई घंटे चले ऑपरेशन में विशाल के पेट से रोबोटिक विधि से सफलता पूर्वक एड्रिनल टयूमर को पीठ की तरफ छोटे से छेद से निकल दिया.

पीठ की तरफ से निकाल दिया ट्यूमर

इस ऑपरेशन में डॉ. ज्ञानचंद के साथ उनकी टीम में डॉ. अभिषेक कृष्णा. डॉ. दिब्या व डॉ. रीनेल शामिल रहे. एनेस्थीसिया टीम में डॉ. अमित रस्तोगी, डॉ. संजय धिराज और उनकी टीम ने सहयोग किया. डॉ. ज्ञानचंद ने बताया कि रोबोटिक पोस्टीरियर रेट्रो पेरिटोनियो स्कॉपिक अड्रेनलेक्टोमी विधि से एड्रिनल ट्यूमर की सर्जरी में बिना पेट में जाए, पीठ की तरफ से ही रोबोटिक सर्जरी के छोटे से छेद से ट्यूमर को निकाला जाता है.

इंफेक्शन व हार्निया बनने का खतरा हुआ कम

डॉ. ज्ञानचंद ने बताया कि यह पूरी प्रक्रिया बेहद जटिल है. लेकिन मरीज़ को भविष्य में आने वाली कठिनाइयों से राहत देने वाली है. क्योंकि कुशिंग सिंड्रोम में अमूमन मरीज़ को शल्य चिकित्सा के बाद इंफेक्शन होने का और हर्निया बनाने का खतरा अधिक रहता है. जिससे मरीज़ को लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ जाता है. या फिर उसे बार-बार ऑपरेशन कराने की जरूरत पड़ जाती है. लेकिन रोबोटिक पोस्टीरियर रेट्रो पेरिटोनियो स्कॉपिक विधि से ऑपरेशन करने पर ऐसा नहीं होता.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें